खुदको देखने ही नहीं, बल्कि सौभाग्य को संवारने के भी काम आता है आइना, जानें कैसे

दिन में कई बार अपनी सूरत को निहारने के काम ही नहीं बल्कि सौभाग्य को संवारने के काम आता है

Update: 2021-08-30 11:17 GMT

दिन में कई बार अपनी सूरत को निहारने के काम ही नहीं बल्कि सौभाग्य को संवारने के काम आता है. वास्तु के अनुसार दर्पण यदि घर की दीवार में सही दिशा या फिर कहें स्थान में लगा हो तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह करता है, वहीं गलत दिशा या जगह पर लगा होने पर उस पर पड़ने वाले बिम्ब नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षिक करता है. जिसके चलते अक्सर उस घर में रहने वाले लोगों को तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आइए जानते हैं कि आईने का आपके घर की खुशियों के साथ क्या कनेक्शन है और खुशहाली और सुख-समृद्धि के लिए आखिर इसे कहां और किस दिशा मे लगाया जाना चाहिए.

आईना लगाते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि वह कहीं से भी टूटा-फूटा या चटका न हो.
वास्तु के अनुसार घर की दीवार पर आईना न तो ज्यादा नीचे हो और न ही अधिक ऊपर होना चाहिए.
आईना लगाते समय हमेशा इस बात का प्रयास करें कि उसमें पड़ने वाला बिंब सुंदरता को बढ़ाने वाला और सकारात्मक ऊर्जा पैदा करने वाला हो.
भूलकर भी एक दर्पण को दूसरे दर्पण के आमने-सामने न लगाएं क्योंकि इसके कारण उत्पन्न होने वाला वास्तु दोष उस स्थान पर शांति व ऊर्जा संचार की अपेक्षा बेचैनी को बढ़ाएगा.
आईने को कभी भी खिड़की अथवा दरवाजे के सामने न लगाएं, क्योंकि इससे दर्पण से उत्पन्न होने वाली सकारात्मक ऊर्जा खिड़की या दरवाजे के रास्ते से बाहर चली जाएगी.
घर का ऐसा कोना जहां पर कम आना-जाना होता हो और वह स्थान कम प्रयोग में लाया जाता हो, साथ ही वहां पर प्रकाश की समुचित व्यवस्था न हो तो वहां पर नकारात्मक ऊर्जा का संचार शुरू हो जाता है. ऐसे स्थान को ऊर्जावान करने के लिए वहां दर्पण का सदुपयोग करके न सिर्फ प्रकाश को बढ़ाया जा सकता है, बल्कि वहां के वास्तु दोष को भी दूर किया जा सकता है.
यदि आपके घर के बाहर टेलीफोन कोई बड़ा पेड़, बिजली का खंबा आदि वास्तु दोष का बड़ा कारण हो तो आप उत्तल दर्पण लगाकर इसे विपरीत दिशा में प्रतिबिंबित कर सकते हैं.
यदि दर्पण दक्षिण-पूर्व में दक्षिण दीवार पर लगा है तो कारोबार में लाभ होता है.
वास्तु के अनुसार प्रात:काल उठते ही दर्पण नहीं देखना चाहिए.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
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