मंत्री सुमंत्र जी ने गुरु की आज्ञा से शुरु की तैयारियां, रोचक कथा में जानें

Update: 2022-07-15 13:44 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Guru Vashishth did the Coronation of Sri Ram: प्रभु श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी के अयोध्या लौटने पर राजमहल से लेकर आम नगर वासियों में हर्ष व्याप्त हो गया और उन सब ने लंका विजय में उनके सहयोगी रहे लंकापति राजा विभीषण, वानर राज सुग्रीव, नल, नील, जामवंत और युवराज अंगद तथा हनुमान जी आदि का तरह तरह से स्वागत किया. इसके बाद गुरु वशिष्ठ ने ब्राह्मणों को बुलवाया और कहा कि आज शुभ घड़ी, सुंदर दिन और सभी शुभ योग हैं. आप सब आज्ञा दें ताकि श्री रामचंद्र राज सिंहासन पर विराजमान हों. ब्राह्मणों ने भी कहा कि श्री राम का राज्याभिषेक पूरे जगत को आनंद देने वाला है इसलिए इस काम में अब देरी नहीं करना चाहिए.

मंत्री सुमंत्र जी ने गुरु की आज्ञा से शुरु की तैयारियां
अयोध्या राज्य के मंत्री सुमंत्र जी ने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा पाते ही राज्याभिषेक के लिए जोर शोर से तैयारियां शुरू कर दीं. दूतों को अलग अलग स्थानों पर विभिन्न आवश्यक सामग्री लाने के लिए भेजा गया, अनेकों रथ, घोड़े, और हाथी आदि को सजाने के लिए उनका पालकों को आज्ञा दी गई. पूरी अवधपुरी को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया गया. देवताओं ने पुष्पों की वर्षा की झड़ी लगा दी.
श्री राम ने अपने हाथों से भरत सहित तीनों भाइयों को स्नान कराया
श्रीराम ने अपने सेवकों को भेजा कि जाकर साथ आए मेरे मित्रों को स्नान करा के सुंदर वस्त्र पहनाओ. इधर उन्होंने भरत जी को बुलाकर पहले उनकी जटाओं को सुलझाया फिर तीनों छोटे भाइयों को स्नान कराया. फिर श्री राम ने अपनी जटाएं खोल गुरु की आज्ञा से स्नान किया और सुंदर वस्त्र तथा आभूषण धारण किए. इधर सासुओं ने अपनी बहू जानकी जी को स्नान करा दिव्य वस्त्रों और श्रेष्ठ आभूषणों से सजा दिया. श्री राम के बाईं ओर उन्हें खड़ा किया गया तो माताएं दोनों को देख हर्षित हो अपने जीवन को धन्य मानने लगीं. इस दृश्य को देखने के लिए ब्रह्मा जी, शिव जी सभी देवता विमानों पर चढ़कर उनके दर्शन करने पहुंचे तो मुनियों के समूह भी अपने अपने आश्रमों से उठकर वहां पहुंच गए.
वशिष्ठ मुनि ने सबसे पहले किया श्री राम का राजतिलक
प्रभु और जानकी जी को देख कर मुनि वशिष्ठ का हृदय प्रेम से भर गया. उन्होंने तुरंत ही सूर्य के समान चमकता हुआ दिव्य सिंहासन मंगवाया और प्रभु श्री राम को उस पर विराजमान होने को कहा तो श्री राम ने सभी मुनियों की तरफ सिर नवाया और उस पर बैठे. जानकी जी के साथ श्री रघुनाथ जी को देख कर ब्राह्मणों ने हर्षित होते हुए वेद मंत्रों का उच्चारण शुरु कर दिया, आकाश से देवता और मुनि जय हो, जय हो का घोष करने लगे. गुरु वशिष्ठ ने आगे बढ़ कर सबसे पहले श्री राम का राजतिलक किया फिर पुत्र को राज सिंहासन पर बैठे देख हर्षित माताओं ने आरती उतारी.


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