आज के दिन हरियाली अमावस्या पर जाने पितरों की पूजा करने की विधि

श्रावण मास बहुत पावन माना जाता है. इस महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहार का बहुत अधिक महत्व होता है

Update: 2021-08-08 06:47 GMT

श्रावण मास बहुत पावन माना जाता है. इस महीने में पड़ने वाले व्रत और त्योहार का बहुत अधिक महत्व होता है. आज हरियाली अमावस्या (Hariyali Amavasya) है. इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए व्रत रखते हैं. इस अमावस्या को हरियाली कहते हैं. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से विशेष महत्व होता है. हरियाली अमावस्या के दिन कई लोग व्रत रखते हैं. इसके अलावा पिंडदान, पितृ तर्पण करना और श्राद्ध कर्म करना फलदायी माना जाता है. आज के दिन पीपल, बरगद, केला और तुसली का पौधा लगाना फलदायी माना जाता है. अमावस्या के दिन पितृ दोष से छुटकारा पाने के लिए कई लोग विशेष उपाय करते हैं. आइए जानते हैं इस दिन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के बारे में.

हरियाली अमावस्या शुभ मुहूर्त

सावन मास की अमावस्या तिथि की प्रारंभ – 07 अगस्त 2021 को शनिवार के दिन शाम 07 बजकर 11 मिनट से

सावन मास की अमावस्या तिथि समापन – 08 अगस्त 2021 को रविवार की शाम 07 बजकर 19 मिनट तक रहेगा.

हरियाली अमावस्या महत्व

सावन में शिवरात्रि के बाद अमावस्या का पर्व मनाया जाता है. इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना और दान करने का महत्व होता है. मान्यता है कि इस अमावस्या के दिन पेड़- पौधे लगाना फलदायी माना जाता है. पेड़ लगाने से घर में सुख- समृद्धि बनी रहती है. पुराणों के अनुसार, पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है.

इस दिन सुबह – सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. सबसे पहले भगवान सूरज को अर्ध्य दें. इसके बाद पितरों की आत्मा की शांति के लिए पूजा करें. फिर ब्राह्मणों को भोजन कराएं. इसके बाद जरूरमंद लोगों में अनाज, कपड़ा आदि चीजों का दान करना चाहिए. अमावस्या के दिन पितरों की पूजा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. अमावस्या के दिन गरुड़ पुराण, पितृसूक्त, गीता, गजेंद्र मोक्ष या फिर पितृ कवच करने से पितर प्रसन्न होते हैं. इस विशेष दिन पर पूजा पाठ और उपवास करने से समस्याओं से छुटकारा मिलता है. इसके अलावा अमावस्या के दिन शाम के समय में पीपल के पेड़ की पूजा करना फलदायी माना जाता है.

नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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