Mesh Sankranti 2023: मेष संक्रांति का बिहू-वैशाखी से जानें संबंध

Update: 2023-04-04 09:32 GMT
ज्योतिष शास्त्र में जब सूर्य देव मेष राशि में करते हैं, तो उस क्षण को मेष संक्रांति कहा जाता है. इस दिन सूर्य राशि चक्र की पहली राशि में गोचर करते हैं. इस दिन से ही सौर कैलेंडर के हिसाब से नया साल प्रारंभ होता है. इस दिन असम में बिहु और पंजाब में बैशाखी मनाई जाती है. वैशाखी को फसलों का त्योहार कहा जाता है, जो सुख-समृद्धि लेकर आता है. तो ऐसे में आइए आज हम आपको अपने इस लेख में मेष संक्रांति के बारे में बताएंगे कि मेष संक्रांति कब है, इस दिन स्नान-दान का क्या मुहूर्त है, साथ ही महापुण्य काल क्या है.
 कब है मेष संक्रांति
इस साल मेष संक्रांति दिनांक 14 अप्रैल को है. इस दिन वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है. इस दिन नववर्ष का पहला माह मेष शुरु होगा.
मेष संक्रांति का समय
दिनांक 14 अप्रैल को दोपहर 03:12 मिनट पर सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे. जिससे यह क्षण मेष संक्रांति कहलाएगा.
जानें क्या है मेष संक्रांति का पुण्यकाल
मेष संक्रांति के दिन पुण्यकाल सुबह 10:55 मिनट से लेकर शाम 06:46 मिनट तक रहेगा. इस दिन पुण्यकाल की अवधि कुल 07 घंटे 51 मिनट की है.
मेष संक्रांति का महापुण्यकाल
दिनांक 14 अप्रैल को मेष संक्रांति का महापुण्यकाल दोपहर 01:04 मिनट से लेकर शाम 05:20 मिनट तक है. इस समय महापुण्यकाल की अवधि 04 घंटे 16 मिनट की है.
मेष संक्रांति के दिन करें ये दान
इस दिन पहले स्नान करने के बाद सूर्य देव की पूजा करें और उनसे जुड़ी वस्तुओं का दान अवश्य करें. इस दिन स्नान करने के बाद गेहूं, लाल कपड़े, लाल फूल और घी का दान कर सकते हैं.
मेष संक्राति के दिन बिहू और वैशाखी का उत्सव मनाया जाएगा.
दिनांक 14 अप्रैल को असम में बिहू का त्योहार मनाया जाएगा.
दिनांक 14 अप्रैल को मेष संक्रांति के दिन वैशाखी का भी त्योहार मनाया जाएगा. ये त्योहार हरियाणा, दिल्ली और पंजाब में मनाते हैं.
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