'संकष्टी चतुर्थी' पर श्री गणेश जी की इस तरह से करें पूजा विधि का ध्यान

प सभी जानते ही होंगे माघ मास में कृष्णपक्ष की चतुर्थी बहुत अहम मानी जाती है।

Update: 2021-01-29 08:21 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क | आप सभी जानते ही होंगे माघ मास में कृष्णपक्ष की चतुर्थी बहुत अहम मानी जाती है। वैसे इस चतुर्थी को महत्वपूर्ण माना जाता है। इस चतुर्थी को हर जगह पर अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे 'संकष्टी चतुर्थी', 'सकट चौथ', 'तिलकुट चौथ', 'माही चौथ' अथवा 'वक्रतुण्डी चतुर्थी' आदि। आपको हम यह भी बता दें कि इस बार सकट चौथ 31 जनवरी 2021 को आ रही है। ऐसे में कहा जाता है कि 'जो माताएं सकट चौथ के दिन निर्जला व्रत रखती हैं और पूरी श्रद्धा से गणेश भगवान की पूजा करती हैं, उनकी संतान सदा निरोग रहती है।' इस दिन गणेश जी के लिए व्रत रखना चाहिए और इस विधि से उनका पूजन करना चाहिए जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

'संकष्टी चतुर्थी' की पूजा विधि- सबसे पहले इस दिन प्रातःकाल स्नान-ध्यान करें। अब इसके बाद स्वच्छ अथवा नये वस्त्र पहन ले और घर के मंदिर में भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। अब पूरे दिन निर्जल व्रत रखते हुए सूर्यास्त के बाद एक बार पुनः गणेश जी की प्रतिमा के पास मिट्टी का कलश स्थापित करें। ध्यान रहे इसमें स्वच्छ जल भरकर रखना है। जल भरने के बाद कलश में तिल, सिक्का, अक्षत और दो सुपारी रख दें और कलश को दीप से ढक दें।

अब इस पर चावल रखें और चावल के ऊपर छोटा दीपक रखकर उसमें घी का दीप प्रज्जवलित करें। अब इसके बाद भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा पर महिलाएं सिंदूर लगाते हुए श्रीगणेश जी की स्तुति करें, आरती गाए, कथा सुना या पढ़े। अब गणेश जी को मोदक अथवा लड्डू, तिल गुड़ का लड्डू, शकरकंद, अमरूद और गुड़ अर्पित करें। कहा जाता है जिस घर में पुत्र का जन्म होता है, उस घर में इस दिन तिल-गुड़ का पहाड़ बनाकर चढ़ाते है। अगर आपके यहाँ ऐसा है तो ध्यान रहे गणेश जी की पूजा और चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद तिल से बने पहाड़ को चाकू से काट दें और इसे ही प्रसाद के तौर पर पास-पड़ोस में बांट दें।

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