Masik durga ashtmi 2021: ज्येष्ठ मास की दुर्गा अष्टमी पर जानिए महत्व, तिथि और पूजा विधि
नवरात्रि में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को महाअष्टमी कहा जाता है
नवरात्रि में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को महाअष्टमी कहा जाता है लेकिन इसके अलावा प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भी मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस बार ज्येष्ठ मास में 18 जून 2021 दिन शुक्रवार को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाएगा। हिंदू धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का भी बहुत महत्व माना गया है। महाष्टमी के अलावा मासिक दुर्गाष्टमी का दिन मां आदिशक्ति को प्रसन्न करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन भक्त मां आदिशक्ति की आराधना करते हैं और व्रत रखते हैं। इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत विधि विधान के साथ करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है। तो आइए जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
दुर्गा अष्टमी व्रत का महत्व
मासिक दुर्गाष्टमी पर व्रत और पूजन करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। जो भक्त भक्तिभाव से प्रत्येक मासिक दुर्गाअष्टमी को व्रत करते हैं, मां आदिशक्ति जगदंबे उनके सारे कष्टों को दूर करती हैं। दुर्गाष्टमी पर व्रत करने से मां दुर्गा अपने भक्तों की संकटों से रक्षा करती हैं और जीवन में धन, समृद्धि और खुशहाली आती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अष्टमी तिथि को ही मां आदिशक्ति ने महिषासुर का संहार किया था। माना जाता है कि यह युद्ध नौ दिनों तक चला था इसलिए नवरात्रि में पड़ने वाली अष्टमी तिथि को महाष्टमी के रूप में मनाया जाता है और प्रत्येक माह में शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है।
दुर्गा अष्टमी शुभ मुहूर्त-
18 जून 2021 दिन शुक्रवार को मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाएगा।
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि आरंभ- 17 जून 2021 दिन बृहस्पतिवार रात 09 बजकर 59 मिनट से
ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष अष्टमी तिथि समाप्त- 18 जून 2021 दिन शुक्रवार रात 08 बजकर 39 मिनट पर
मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि-
अष्टमी तिथि को प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
अब पूजा के स्थान की साफ-सफाई करके गंगाजल का छिड़काव करके शुद्धि करें।
अब वहां पर ही एक लकड़ी की चौकी बिछाएं और उसपर लाल कपड़ा बिछाकर माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
अब मां दुर्गा को लाल चुनरी चढ़ाएं और उनके समक्ष धूप दीप प्रज्वलित करें।
इसके बाद अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प आदि से मां दुर्गा की विधिवत पूजा करें।
इसके बाद प्रसाद में माता को फल और मिष्ठान अर्पित करें।
मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
पाठ पूर्ण हो जाने के बाद मां दुर्गा की आरती करें और हाथ जोड़कर देवी से क्षमा प्रार्थना करें।