Mahavir Jayanti Quotes: महावीर स्वामी के 10 अनमोल वचन, पढ़ें यहां
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी जी की आज जयंती है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी जी की आज जयंती है। इस दिन को जैन समुदाय द्वारा बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इनका जन्म चैत्र मास के 13वें दिन बिहार के कुंडग्राम/कुंडलपुर के राज परिवार में हुआ था। मान्यता है कि ये जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर थे। इन्होंने आत्मज्ञान की प्राप्ति की थी। इन्होंने पंचशील सिद्धांत दिए थे और इसके अलावा कई वचन भी दिए थे जो दुनिया के हर समाज के लोगों को प्रेरित करते हैं। आइए जानते हैं भगवान महावीर के वे 10 अनमोल वचन।
भगवान महावीर के 10 अनमोल वचन:
अपने असल रूप को ना पहचानना ही किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती है और यह केवल तभी ठीक की जा सकती है जब आत्म ज्ञान प्राप्त किया जाए।
भगवान का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर देवत्त्व प्राप्त किया जा सकता है।
हर मनुष्य अपने खुद के दोष की वजह से दुखी होते हैं। वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
जंगल के मध्य में एक व्यक्ति जलते हुए एक ऊंचे वृक्ष पर बैठा है। वह हर किसी को मरते हुए देखता है। लेकिन उसे यह नहीं पता कि जल्द ही उसका भी यही हस्र होगा। वह आदमी मूर्ख है।
बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना, स्वयं से लड़ो। जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।
आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। आपके भीतर ही असली शत्रु रहते हैं। वो है क्रोध, लालच, घमंड, नफरत और आसक्ति।
आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
जिस तरह हम दुख को पसंद नहीं करते ठीक उसी तरह लोग भी दुख को पसंद नहीं करते। यही सोचकर, आपको किसी के भी वो नहीं करना चाहिए जो आप खुद के साथ नहीं होने देना चाहते हो।
एक सच्चा इंसान उतना ही विश्वसनीय है जितनी मां, उतना ही आदरणीय है जितना गुरु और उतना ही परमप्रिय है जितना ज्ञान रखने वाला व्यक्ति।
साहसी हो या कायर दोनों को मरना ही है। जब मृत्यु दोनों के लिए अपरिहार्य है, तो मुस्कराते हुए और धैर्य के साथ मौत का स्वागत क्यों नहीं किया जाना चाहिए?