बेहद अनूठा होता है महाकालेश्वर में महाशिवरात्रि उत्सव, 9 दिन पहले से होते हैं भगवान के विशेष श्रृंगार
विवाह का पर्व महाशिवरात्रि यहां बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. महाशिवरात्रि से पहले ही यहां यह उत्सव शुरू हो जाता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान शिव के उपासकों को महाशिवरात्रि का इंतजार पूरे साल रहता है. इस दिन सभी शिव मंदिरों में सुबह तड़के से लेकर देर रात तक पूजन पाठ और अभिषेक का सिलसिला चलता रहता है. देश के खास मंदिरों में तो इस उत्सव की धूम देखने लायक होती है. इसे देखने के लिए और भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग यहां पहुंचते हैं. इन्हीं में से एक है उज्जैन का महाकाल मंदिर. शिव जी और पार्वती जी के विवाह का पर्व महाशिवरात्रि यहां बहुत धूमधाम से मनाया जाता है. महाशिवरात्रि से पहले ही यहां यह उत्सव शुरू हो जाता है.
मनाते हैं 9 दिन की शिवनवरात्रि
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि से 9 दिन पहले ही उत्सव शुरू हो जाता है. यहां 9 दिन की शिवनवरात्रि मनाई जाती है. यानी कि इस साल 1 मार्च 2022 को पड़ने वाली महाशिवरात्रि से पहले 21 फरवरी से ही शिवनवरात्रि का पर्व शुरू हो गया है. इन 9 दिनों को मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि की तरह मनाया जाता है. कमाल की बात यह है कि इस अनूठी शिवनवरात्रि का आयोजन पूरे देश में केवल उज्जैन में ही होता है.
ज्योतिर्लिंग का 9 रूपों में होता है श्रृंगार
9 दिनों की शिवनवरात्रि के दौरान महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में आम भक्तों को प्रवेश नहीं दिया जाता है. केवल मंदिर के पुजारी ही पूजन करते हैं. 9 दिनों के दौरान महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को अलग-अलग 9 रूपों में सजाया जाता है.
इसमें शिवनवरात्रि के पहले दिन श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार भांग, सूखे मेवे, फल-फूल और रेशमी वस्त्रों से किया जाता है. इसे वस्त्रधारण श्रृंगार स्वरूप कहा जाता है. दूसरे दिन श्री शेषनाग श्रृंगार, तीसरे दिन घटाटोप श्रृंगार, चौथे दिन श्री छबीना श्रृंगार, पांचवे दिन श्री होलकर श्रृंगार, छठवें दिन श्री मनमहेश श्रृंगार, सातवे दिन श्री उमामहेश श्रृंगार, आठवे दिन श्री शिवतांडव श्रृंगार किया जाता है. नौवें दिन पूरे गर्भगृह में पुष्प बंगला सजाया जाता है. इसके साथ ही भगवान शिव का विवाहोत्सव मनाया जाता है. भगवान को हल्दी-चंदन लगाने से लेकर दूल्हा बनाने और माता पार्वती के साथ उनका विवाह रचाने की सभी रस्मों को निभाया जाता है.
10 वां दिन होता है बेहद खास
शिवनवरात्रि के दौरान किए जाने वाले विशेष श्रृंगार का सिलसिला यहीं खत्म नहीं होता है, बल्कि 10 वें यानी कि महाशिवरात्रि के दिन शिव-पार्वती विवाह समारोह की परंपरा निभाने के बाद भगवान का अतिमोहक श्री सेहरा श्रृंगार किया जाता है. जिसमें सवामन पुष्पों से सेहरा बनाकर भकगवान को पहनाया जाता है. साल में केवल इसी दिन भस्मा आरती ब्रह्ममुहूर्त में ना होकर विशेष मुहूर्त में दोपहर के समय की जाती है.