Mahalakshmi Vrat Samapan 2021: 13 सितंबर से है शुरू ,जानिए समय व महत्व

महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है. ये गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद मनाया जाता है

Update: 2021-09-27 17:14 GMT

महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है. ये गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद मनाया जाता है. महालक्ष्मी व्रत लगातार सोलह दिनों तक मनाया जाता है. इस साल ये 13 सितंबर से शुरू होकर 28 सितंबर 2021 को खत्म होगा.

महालक्ष्मी व्रत, धन की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है. भविष्य पुराण के अनुसार, जब पांडवों ने जुए में कौरवों के हाथों अपना धन खो दिया, तो पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से धन प्राप्त करने के तरीके के बारे में पूछा. भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत का पालन करने की सलाह दी. तब से, देश भर में भक्त अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए इस शुभ व्रत का पालन करते हैं.
ये दिन हिंदू चंद्र कैलेंडर के भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को पड़ता है. इस दिन, भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद लेते हैं.
महालक्ष्मी व्रत आयोजन 2021: तिथि और समय
अष्टमी तिथि 28 सितंबर को शाम 06:17 बजे से शुरू हो रही है
अष्टमी तिथि 29 सितंबर को रात 08:30 बजे समाप्त होगी
महालक्ष्मी व्रत 2021: महत्व
भविष्य पुराण में कहा गया है कि जब पांडवों ने जुए में कौरवों से अपना धन खो दिया, तो पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से धन प्राप्त करने के तरीके के बारे में पूछा. भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें महालक्ष्मी व्रत का पालन करने की सलाह दी.
महालक्ष्मी व्रत भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है. ये गणेश चतुर्थी के चार दिन बाद मनाया जाता है. महालक्ष्मी व्रत लगातार सोलह दिनों तक मनाया जाता है. धन और समृद्धि के लिए माता महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए ये व्रत किया जाता है.
महालक्ष्मी व्रत 2021: पूजा विधि और अनुष्ठान
– सुबह जल्दी उठकर स्नान कर पूजा स्थल को साफ कर लें.
– ये एक दिन का व्रत है इसलिए इसके लिए संकल्प लें.
– एक मंच पर महालक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.
– श्रीयंत्र को मूर्ति के पास रखा जाता है.
– मूर्ति के सामने जल से भरा कलश रखा जाता है, उस पर नारियल रखा जाता है.
– देवी को फूल, फल और नैवेद्य चढ़ाएं.
– घी का दीपक और धूप जलाएं.
– कथा, भजन का पाठ करें और प्रार्थना करें.
– महालक्ष्मी स्तोत्र का जाप करने से समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है.
– कुछ क्षेत्रों में भक्त सूर्यदेव की पूजा भी करते हैं और सूर्योदय के समय, सभी सोलह दिनों के लिए प्रतिदिन अर्घ्य दिया जाता है.
– अश्विन कृष्ण अष्टमी को व्रत का समापन होता है.
– शाम को मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है.
– अंतिम दिन पूर्ण कुंभ के दिन कलश की पूजा की जाती है.
– कलश और नारियल में चंदन, हल्दी का लेप और कुमकुम लगाया जाता है. ये माता लक्ष्मी का प्रतीक है.
– अंतिम दिन माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए नौ विभिन्न प्रकार की मिठाइयां और सेवइयां अर्पित की जाती हैं.
– माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए आरती की जाती है.

– सभी भक्तों में प्रसाद का वितरण किया जाता है.


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