भोपाल न्यूज़: शुक्र ग्रह ऐश्वर्य का कारक माना जाता है. महर्षि भृगु इनके पिता और ख्याति देवी माता हैं. शुक्र ग्रह असुरों के गुरु माने जाते हैं. इनकी जीवनसंगिनी ऊर्जास्वती हैं. इनकी बहन लक्ष्मी हैं. शुक्र ग्रह का वाहन मगरमच्छ और 7 अश्वों की ओर से खींचा गया रथ माना जाता है. यह वृषभ और तुला राशि के स्वामी माने जाते हैं. शुक्र ग्रह भरणी पूर्वा फाल्गुनी पूर्वाषाढ़ नक्षत्र का स्वामी होता है.
शुक्र ग्रह मीन राशि में उच्च और कन्या राशि में नीच के होते हैं. बुध और शनि शुक्र के मित्र माने जाते हैं, जबकि सूर्य, चंद्रमा शुक्र के शत्रु तथा बृहस्पति ग्रह को सम माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह प्रेम, कलात्मक प्रतिभा, ऐश्वर्य, प्रजनन, ललित कला, संगीत, नृत्य, चित्रकला और मूर्तिकला का भी प्रतीक माना जाता है.
शुक्र ग्रह को ज्येष्ठ मास का स्वामी भी माना जाता है और यह कुबेर के खजाने का रक्षक माना गया है. शुक्र की दिशा दक्षिण पूर्व की होती है. शुक्र की ऋतु बसंत होती है और तत्व जल होता है. शुक्र की महादशा 20 वर्ष तक जातक के ऊपर सक्रिय रहती है. शुक्र ग्रह कमजोर होता है, तो मधुमेह, अंगूठे में दर्द, त्वचा, सिर-दर्द, आंखों और जननांगों से संबंधित रोग होने की आशंका अधिक रहती है.
-पं. नीलेश शास्त्री, ज्योतिषाचार्य