Lord Shiva: हिंदू धर्म में भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता कहलाते हैं. महादेव का स्वभाव भोला है, इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि जो भी भक्त पूर्ण श्रद्धाभाव से भगवान शिव की पूजा-करता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है. महादेव सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने पर ही प्रसन्न हो जाते हैं, लेकिन शिवजी को उनकी प्रिय चीजें चढ़ाकर विशेष फल प्राप्त किया जा सकता है. ऐसा कहा जाता है कि बेल के पेड़ की जड़ में गिरिजा, तने में महेश्वरी, शाखा में दक्षायनी, पत्ती में पार्वती और फूल में देवी गौरी का वास होता हैआषाढ़ माह के खत्म होने के बाद सावन महीना शुरू होता है.वैसे तो भगवान शिव को बहुत-सी चीजें चढ़ाई जाती हैं, लेकिन भगवान शिव को बेल पत्र बेहद ही प्रिय माना गया है, इसलिए बेलपत्र चढ़ाने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की हर मनोकामना पूरा करते हैं. भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का इस्तेमाल जरूर किया जाता है. आइए जानते हैं कि भगवान शिव और बेलपत्र का क्या संबंध है और इसे चढ़ाने के क्या नियम हैं. शिवपुराण के मुताबिक, समुद्र मंथन से निकले विष से संसार संकट में पड़ गया और कोई भी उस विष को ग्रहण करने के लिए तैयार नहीं हुआ. इसके बाद सभी देव-दानव शिव जी के पास इस समस्या का हल निकालने के लिए पहुंचे. तब भगवान शिव ने संसार की रक्षा के लिए उस विष को अपने गले में धारण कर लिया. इससे शिव के शरीर का तापमान बढ़ने लगा और उनका गला निला पड़ गया. पृथ्वी के सभी प्राणियों का जीवन कठिन हो गया. सृष्टि के हित में विष के प्रभाव को खत्म करने के लिए देवताओं ने भगवान शिव को बेलपत्र दिए. बेलपत्र खाने से विष का प्रभाव कम हो गया. ऐसा कहा जाता है कि तभी से भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई.
शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने के नियम
भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने के लिए भी शास्त्रों में कुछ नियम बताए गए हैं जो कि इस प्रकार हैं.
भगवान शिव को बेलपत्र हमेशा चिकनी सतह की तरफ से ही चढ़ाना चाहिए.
भगवान शिव को कभी भी कटे हुए बेलपत्र नहीं चढ़ाने चाहिए.
भगवान शिव को बेलपत्र 3 पत्तों से कम नहीं चढ़ाने चाहिए.
बेलपत्र हमेशा मध्यमा, अनामिका उंगली और अंगूठे से पकड़कर ही शिव जी को चढ़ाना चाहिए.
ऐसा कहा जाता है कि बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता है, इसलिए पहले से अर्पित किए हुए बेलपत्र को धोकर फिर से भोलेनाथ को चढ़ाया जा सकता है. बेल पत्र चढ़ाने के बाद जल से शिवलिंग का अभिषेक जरूर करना चाहिए