Jyeshtha Purnima पर होगा भगवान जगन्नाथ का सहस्त्र धारा स्नान

Update: 2024-06-21 08:37 GMT
Jyeshtha Purnima ज्योतिष न्यूज़  : पुरी में होने वाले विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा का भक्तों को बड़ी बेसब्री से इंतजार होता है। इस यात्रा में देश दुनियाभर से लोग आते हैं और यात्रा का हिस्सा बनते हैं माना जाता है कि इस यात्रा में शामिल होने से भगवान जगन्नाथ की कृपा प्राप्त होती है।
पंचांग के अनुसार हर साल ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा यानी 22 जून के दिन भगवान जगन्नाथ को सहस्त्र धारा का स्नान करवाया जाता है जिसमें भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा एक स्थान पर एकत्रित होते हैं और उनका सहस्त्र धारा स्नान कराया जाता है जो कि प्रमुख अनुष्ठानों में से एक माना गया है इसे देव स्नान पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा देव स्नान पूर्णिमा से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
देव स्नान पूर्णिमा की मान्यताएं—
आपको बता दें कि प्रत्येक वर्ष पूर्णिमा के दिन भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा को एक साथ एकत्र कर सहस्त्र धारा स्नान कराया जाता है जिसके लिए उन्हें मंडप तक लाते हैं इसके बाद उनके मंदिर के प्रांगण में मौजूद कुंए के पानी से प्रभु का स्नान करवाया जाता है 108 घड़ों से स्नान करने के बाद कई विशेष अनुष्ठान भी किए जाते हैं भगवान के स्नान वाले जल में पुष्प, चंदन, केसर और कस्तूरी को मिलाया जाता है जिसके बाद भगवान को सादा बेश बनाते हैं और दोपहर में हाथी बेश पहना कर भगवान गणेश के रूप में तैयार किया जाता है।
देव स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ पूरे 14 दिनों के लिए बीमार हो जाते हैं जिसकी वजह से उनके मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं माना जाता है कि इतना अधिक स्नान के बाद भगवान बीमार पड़ जाते हैं और इसके लिए 14 दिनों तक उनका उपचार किया जाता है 15वें दिन यानी आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर मंदिर के कपाट एक बार फिर से खोले जाते हैं जिसे नेत्र उत्सव के नाम से जाना जाता है इसी नेत्र उत्सव के अगले दिन यानी आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा निकाली जाती है। इस यात्रा में दुनियाभर से लोग आकर शामिल होते हैं और प्रभु का आशीर्वाद लेते हैं।
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