भगवान गणपति ने असुरों के नाश के लिए थे ये आठ अवतार, जानें क्या है इनकी महिमा
एकादशी की तरह हर माह में दो बार चतुर्थी तिथि आती है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। एकादशी की तरह हर माह में दो बार चतुर्थी तिथि आती है. शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी (Vinayaka Chaturthi) कहा जाता है और कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी. सभी चतुर्थी के व्रत शिव और माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश को समर्पित हैं. गणपति को प्रथम पूज्य माना जाता है. कहा जाता है कि जहां पर गणपति की कृपा होती है, वहां कभी अमंगल नहीं होता. गणपति को विघ्नहर्ता कहा जाता है, वे व्यक्ति की उन्नति और उसके कार्यों के बीच आ रही बाधाओं को दूर करते हैं. ऐसे में उसके जीवन की तमाम परेशानियों का अंत होता है और जीवन में शुभता आती है. इस बार विनायक चतुर्थी 3 जून को गुरुवार के दिन पड़ रही है. इस मौके पर आज हम आपको बताएंगे गणपति के आठ प्रमुख रूपों के बारे में, जिनका जिक्र मुद्गल पुराण में भी किया गया है. ये आठ रूप गणपति ने असुरों के नाश के लिए धारण किया था. जानिए गणपति के आठ रूपों की महिमा.