lohri special: लोहड़ी पर जानें इसके पीछे की पौराणिक कहानी

पौष मास के आखिरी दिन सूर्यास्त के बाद और माघ संक्रांति से पहली वाली रात को लोहड़ी मनाई जाती है।

Update: 2021-01-13 02:59 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्कपौष मास के आखिरी दिन सूर्यास्त के बाद और माघ संक्रांति से पहली वाली रात को लोहड़ी मनाई जाती है। हर वर्ष यह त्यौहार आज 13 जनवरी को पड़ता है। मुख्यत: यह त्यौहार पंजाब प्रांत में मनाया जाता है। इस पर्व को मकर संक्रांति की पूर्व संध्या पर बेहद हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग एक खुली जगह पर रात के समय आग जलाते हैं और उसके आस-पास घेरा बनाते हैं। इस जिन रेवड़ी, मूंगफली, लावा आदि खाए जाते हैं। इस दिन को लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है।

पढ़ें लोहड़ी की कहानी:
ऐसा कहा जाता है कि मुगलकाल के समय पंजाब का एक व्यापारी था जो वहीं की लड़कियों और महिलाओं को बेचा करता था। वह यह सब पैसे के लालच में करता है। उसके इस कृत्य से हर कोई परेशान और भयभीत था। उसके इस आतंक से इलाके में हमेशा ही दहशत का माहौल रहता था। उसके डर से कोई भी अपनी बहन-बेटियों को घर से बाहर नहीं निकालता था। लेकिन वो व्यापारी मानने वाला कहां था। वह जबरन घरों में घुसकर जबरन महिलाओं और लड़कियों को उठा लिया करता था।

व्यापारी के आतंक को खत्म करने और महिलाओं और लड़कियों को इससे बचाने के लिए एक नौजवान शख्स ने जिसका नाम दुल्ला भाटी था, उस व्यापारी को कैद कर लिया। उसके बाद व्यापारी की हत्या कर दी। उस व्यापारी की हत्या करने और लोगों को उसके आतंक से बचाने के लिए दुल्ला भाटी का शुक्रिया पूरे पंजाब ने अदा किया। तभी से लोहड़ी का पर्व दुल्ला भाटी के याद में मनाया जाने लगा। इस दिन कई लोकगीत भी गाए जाते हैं।





Tags:    

Similar News

-->