Lohri 2021: लोहड़ी पर क्यों सुनी जाती है दुल्ला भट्टी की कथा, जानिए वजह

लोहड़ी खुशहाली पर्व है। यह त्योहार 13 जनवरी को मनाया जाएगा।

Update: 2021-01-07 14:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क:  लोहड़ी खुशहाली पर्व है। यह त्योहार 13 जनवरी को मनाया जाएगा। लोहड़ी के दिन अलाव जलाकर उसके इर्द-गिर्द डांस किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन आग के पास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनी जाती है। लोहड़ी पर दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने का खास महत्व होता है। आइए जानते हैं लोहड़ी के दिन दुल्ला भट्टी की कहानी क्यों सुनी जाती है इसके पीछे का महत्व क्या है।

दुल्ला भट्टी की कथा
मान्यता है कि मुगल काल में अकबर के समय में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स पंजाब में रहता था। उस समय कुछ अमीर व्यापारी सामान की जगह शहर की लड़कियों को बेचा करते थे, तब दुल्ला भट्टी ने उन लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई थी। कहते हैं तभी से हर साल लोहड़ी पर्व पर दुल्ला भट्टी की याद में उनकी कहानी सुनाने की पंरापरा चली आ रही है।
इसलिए मनायी जाती है लोहड़ी
पारंपरिक तौर पर लोहड़ी फसल की बुवाई और कटाई से जुड़ा एक विशेष त्योहार है। इस अवसर पर पंजाब में नई फसल की पूजा करने की परंपरा है। इसके अलावा कई हिस्सों में माना जाता है यह त्योहार पूस की आखिरी रात और माघ की पहली सुबह की कड़क ठंड को कम करने के लिए मनाया जाता है।
लोहड़ी पर्व जुड़ी परंपराएं
लोहड़ी के इस पावन अवसर के दिन अग्नि जलाने के बाद उसमें तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं। वहीं इसके बाद सभी लोग अग्नि के गोल-गोल चक्कर लगाते हुए सुंदरिए-मुंदरिए हो, ओ आ गई लोहड़ी वे, जैसे पारंपरिक गीत गाते हुए ढोल-नगाड़ों के साथ नाचते-गाते इस पावन पर्व को उल्लास के साथ मनाते हैं।


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