धर्म अध्यात्म: जैसलमेर की तर्ज पर बीकानेर में भी तनोट माता का मंदिर बना हुआ है. इस मंदिर की देखभाल और सार संभाल 1965 और 1971 के युद्ध की लड़ाई में बीएसएफ और आर्मी से रिटायर्ड लोग मिलकर कर रहे हैं. बीएसएफ और आर्मी के लोगों में तनोट माता में गहरी आस्था है. सुबह से शाम तक इस मंदिर में दर्शन करने के लिए सैकड़ों लोग आते हैं. हम बात कर रहे हैं बीकानेर के तिलक नगर स्थित तनोट माता मंदिर की.
यह मंदिर करीब 30 साल पहले बना था. अब रिटायर्ड बीएसएफ और आर्मी के जवानों ने अपने खर्च से इस मंदिर का धीरे-धीरे विस्तार करवा रहे हैं. तिलक नगर में रिटायर्ड बीएसएफ कर्मी और आर्मी के सबसे ज्यादा लोग इसी इलाके में रहते हैं. ऐसे में इन लोगों ने मिलकर इस मंदिर का निर्माण करवाया. यहां रोजाना आने वाले बीएसएफ और आर्मी के लोग माता जी से प्रार्थना करते हैं कि देश की सीमा सुरक्षित रहे. सभी का कल्याण हो. यहां रोजाना बीएसएफ और आर्मी से रिटायर्ड शिव सिंह, पृथ्वी सिंह शेखावत, जगदीश सिंह आदि मंदिर में दर्शन करने आते हैं.
मंदिर की सार संभाल कर रहे रिटायर्ड प्रताप सिंह शेखवात ने बताया कि मंदिर में तनोट माता की मूर्ति बनवाकर यहां स्थापित की गई. तनोट माता के छह हाथ हैं, जिनमें चक्र, तलवार, गद्दा, शंख, खंजर, मशाल आदि है. तनोट माता के साथ करणी माता और वैष्णो माता की प्रतिमा भी है. इसके अलावा भगवान गणेश जी की भी मूर्ति स्थापित है. बताते हैं कि इस मंदिर में जो भी मनोकामना लेकर आते हैं, माताजी उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं. मंदिर में सुबह-शाम को आरती होती है. यह मंदिर पूरे दिन खुला रहता है. बताया कि यह मंदिर सुबह 5 बजे खुलता है जो दोपहर में एक से डेढ़ घंटे तक बंद रहता है. फिर रात 9 बजे तक खुला रहता है. यहां तिलक नगर के सभी लोग दर्शन करने के लिए आते हैं.
प्रताप बताते हैं कि इस मंदिर का निर्माण सात साल तक चला. यह मंदिर जनसहयोग से बनाया गया है. इस मंदिर को बनाने में करीब 10 लाख रुपए खर्च आया है. मंदिर का उद्घाटन बीएसएफ के गुमानसिंह ने किया था. वह तनोट माता के उपासक रहे हैं. करीब साल पहले मंदिर के प्रांगण में एक आश्रम भी बनाया गया है, जिसकी रोजाना साफ सफाई होती है. इस आश्रम में सवाई गुमान सिंह सिसोदिया और गुरु कैलाश नाथ जी की प्रतिमा लगी हुई है.