ऐसे जलाये घर पर दीपक, फिर देखे कैसे होते है चमत्कारिक अनुभव

सनातन धर्म में पूजा के बाद आरती का विशेष महत्व माना गया है.

Update: 2021-01-05 07:50 GMT

जनता से रिश्ता बेवङेस्क| सनातन धर्म में पूजा के बाद आरती का विशेष महत्व माना गया है.आरती के बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है. धार्मिक शास्त्रों में आरती रूपी दीपक के प्रकाश को भगवान का रूप माना गया है. स्कंद पुराण के अनुसार भगवान विष्णु ने स्वयं कहा है कि अगर कोई भक्त मेरा मंत्रहीन और क्रियाहीन पूजन भी करता है तो वो पूजन प्रेम और श्रद्धा से आरती करने से सफल हो जाता है. लेकिन आरती करने के भी कुछ विशेष नियम होते हैं, जिनके बारे में लोगों को जानकारी नहीं है. आइए आपको बताते हैं.

ऐसे तैयार करें आरती का थाल

आरती की थाली को प्रभु का श्रृंगार मानकर सजाना चाहिए. इसके लिए आप चांदी, पीतल, तांबे की थाली लें तो बेहतर है, वर्ना घर में मौजूद कोई भी थाली ले सकते हैं. इसमें रोली, अक्षत, पुष्प, प्रसाद वगैरह रखें. इसके बाद पीतल, चांदी, मिट्रटी या आटे के दीपक में रुई की बत्ती और घी डालकर तैयार करें. उसके बाद दीपक का थाली में रखी सामग्री से पूजन करें, फिर भगवान की आरती को प्रारंभ करें.

ऐसे भगवान के समक्ष घुमाएं दीपक

आरती को भगवान के समक्ष भी घुमाने के नियम हैं. माना जाता है कि नियमानुसार आरती करने से ईश्वर की शक्ति उसमें समा जाती है. आरती को सबसे पहले इसे भगवान के चरणों की तरफ चार बार, फिर नाभि की तरफ दो बार और अंत में एक बार मुख की तरफ घुमाएं. ये एक क्रम कहलाता है. हर भक्त को आरती के दौरान सात बार ऐसा करना चाहिए. आरती होने के बाद जल से आरती का आचमन करें और उस जल का अन्य लोगों पर छिड़काव करें. फिर दोनों हाथों को दीपक की लौ के आसपास लाकर मस्तक पर लगाएं. यदि घर में रोजाना कम से कम सुबह शाम भी इस तरह से आरती की जाए तो घर में नकारात्मकता नहीं रहती और वास्तुदोष भी समाप्त हो जाता है.

  

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