चाणक्य नीति या चाणक्य नीतिशास्त्र चाणक्य द्वारा रचित एक नीति ग्रन्थ है। संस्कृत-साहित्य में नीतिपरक ग्रन्थों की कोटि में चाणक्य नीति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इसमें सूत्रात्मक शैली में जीवन को सुखमय और सफल बनाने के लिए उपयोगी सुझाव दिये गये हैं।
इंसान अपने जीवन में हर किसी से कुछ न कुछ सीखता है। बच्चे,बूढ़े यहां तक की जानवर भी हमें कुछ न कुछ सिखाते हैं। प्रसिद्ध चाणक्य नीति के मुताबिक, चाणक्य-नीति शास्त्र के छठवें अध्याय में आचार्य चाणक्य ने बताया है कि हर इंसान को गधे से तीन गुण सीखने चाहिए। गधा एक ऐसा शब्द है जिसे हम व्यंग्य के रूप में इस्तेमाल करते हैं लेकिन गधे से भी हमें सीख देता है जिससे हम जीवन में सफल हो सकते हैं।
संतोष के साथ आगे बढ़ें – चाणक्य ने कहा है जिस प्रकार गधा संतुष्ट होकर कहीं भी चर लेता है, उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति को भी सदा संतोष रखना चाहिए। व्यक्ति के फल की चिंता किए बिना संतोष के साथ काम करना चाहिए और अपने काम में लगे रहना चाहिए।
आलस का त्याग करें – चाणक्य ने कहा है कि जिस तरह गधा अधिक थका होने पर भी बोझ ढोता रहता है, आलस्य नहीं करता। उसी तरह बुद्धिमान व्यक्ति को भी आलस्य न करके अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सदैव कोशिश करते रहना चाहिए।
बदलते मैसम में भी अडिग रहें – चाणक्य ने कहा है कि जिस तरह गधा हर मौसम में और हर स्थिति में अपना काम कर लेता है। उसी तरह इंसान को भी मौसम के सर्द और गर्म होने से अंतर नहीं पड़ना चाहिए।