भगवान राम और माता सीता के वैवाहिक जीवन से सीखें ये बातें

Update: 2022-11-28 05:26 GMT

 आज यानी 28 नवंबर 2022 को विवाह पंचमी है। ये पर्व प्रत्येक वर्ष अगहन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। विवाह पंचमी का ये पर्व भगवान राम और माता सीता के विवाह उत्सव के रूप में माना जाता है। इस दिन मंदिरों में आयोजन किए जाते हैं। साथ ही प्रभु श्री राम और सीता की पूजा की जाती है। वैसे तो भगवान राम और माता सीता का वैवाहिक जीवन संघर्षों भरा था, इसके बावजूद भी जब भी आदर्श पति-पत्नी के उदाहरण की बात आती है तो लोग श्रीराम और माता सीता का ही नाम लेते हैं। श्री राम और सीता जी ने अपने जीवन में ऐसे कई उदाहरण पेश किए हैं, जिन्हें अपना कर कोई भी पति-पत्नी अपने वैवाहिक जीवन को सफल बना सकते हैं। तो चलिए आज जानते हैं कि राम-सीता के वैवाहिक जीवन से क्या सीख मिलती है...

हर परिस्थिति में साथ रहना

जब भगवान राम को वनवास सुनाया गया तो माता सीता भी उनके साथ महल छोड़कर जंगल में रहने के लिए तैयार हो गईं। भगवान राम ने माता सीता से महल में ही रहने का आग्रह किया, लेकिन माता सीता ने राम जी के वनवास जाने का निर्णय किया और उनके साथ वनवास गईं। इस तरह से भगवान राम और माता के वैवाहिक जीवन में हमें सीख लेनी चाहिए कि परिस्थिति चाहें जो भी हो पति-पत्नी को हमेशा हर परिस्थिति में एक-दूसरे का साथ निभाना चाहिए।

त्याग की भावना

माता सीता राजा जनक की पुत्री थी। उन्होंने बचपन से ही अपना जीवन महल में बिताया था। विवाह के पश्चात भी वे जनकपुरी से अयोध्या आई, परंतु उन्होंने भगवान राम के लिए सभी सुखों का त्याग कर दिया और उनके साथ वन में जाने का निर्णय लिया। ऐसे में किसी भी रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए जरुरत पड़ने पर पति-पत्नी को कुछ चीजों का त्याग करने की भावना होना आवश्यक होता है।

निःस्वार्थ भाव से प्रेम

प्रभु श्री राम और माता सीता ने हमेशा एक दूसरे से निस्वार्थ भाव से प्रेम किया, इसलिए हर परिस्थिति में एक दूसरे के साथ रहे और उनका रिश्ता मजबूत बना रहा। इस तरह से भगवान राम जी माता सीता के वैवाहिक से हमें सीख मिलती है कि हमेशा निस्वार्थ भाव से प्रेम करना चाहिए।

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