जाने इस होली त्योहार विशेष कैसे 499 साल बाद बन रहा दुर्लभ योग, सर्वार्थसिद्धि एवं अमृतसिद्धि योग में मनाया जाएगा
इस बार होली पर 499 वर्षों बाद दुर्लभ योग बन रहा है। 29 मार्च को होली वाले दिन कन्या राशि में चंद्र विराजमान रहेंगे। गुरु शनि दोनों अपनी ग्रह राशियों में रहेंगे।
जनता से रिश्ता विब्डेस्क | इस बार होली पर 499 वर्षों बाद दुर्लभ योग बन रहा है। 29 मार्च को होली वाले दिन कन्या राशि में चंद्र विराजमान रहेंगे। गुरु शनि दोनों अपनी ग्रह राशियों में रहेंगे। रंगों का त्योहार होली इस बार सर्वार्थसिद्धि योग में मनाया जाएगा। इस दौरान अमृत सिद्धि योग भी रहेगा। ज्योतिषविद् बताते हैं कि इस बार होली पर ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। ज्योतिष के अनुसार इस तरह से ग्रहों का योग 499 साल पहले तीन मार्च, 1521 को बना था। होली इस बार सर्वार्थसिद्धि योग में मनाई जाएगी। होली पर अमृतसिद्धि योग भी रहेगा।
होलाष्टक में फैलती है नकारात्मक ऊर्जा, पूजा-पाठ का विशेष महत्व
होलाष्टक के दौरान ग्रहों की नकारात्मकता बढ़ने से आठ दिन तक वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव रहेगा। ग्रह-नक्षत्र के कमजोर होने के कारण इस दौरान जातक की निर्णय क्षमता कम हो जाती है। होलाष्टक के दौरान पूजा पाठ का विशेष महत्व होता है। होलाष्टक के समय में मौसम में बदलाव होता है, इसलिए दिनचर्या को काफी अनुशासित रखें। पंचांग के अनुसार होलाष्टक का आरंभ 22 मार्च से हो जाएगा। इस दिन फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि रहेगी। ज्योतिष के मुताबिक चंद्रमा मिथुन राशि में विराजमान होंगे और इस दिन आद्रा नक्षत्र भी रहेगा। ज्योतिष के अनुसार होलाष्टक का समापन होलिका दहन के दिन हो जाता है। होलाष्टक के दौरान विवाह का मुहूर्त नहीं होता इसलिए इन दिनों में विवाह जैसा मांगलिक कार्य संपन्न नहीं करना चाहिए। नए घर में प्रवेश भी इन दिनों में नहीं करना चाहिए। भूमि पूजन भी इन दिनों में न ही किया जाए तो बेहतर है। नवविवाहिताओं को इन दिनों में मायके में रहने की सलाह दी जाती है। हिंदू धर्म में 16 प्रकार के संस्कार बताए जाते हैं, इनमें से किसी भी संस्कार को संपन्न नहीं करना चाहिए।