krishna janmashtami 2021: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर द्वापर युग जैसा संयोग बन रहा, जानें कई शुभ योग
इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 30 अगस्त को वैसे ही दुर्लभ संयोग बन रहे हैं.
इस बार श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर 30 अगस्त को वैसे ही दुर्लभ संयोग बन रहे हैं, जैसे द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय थे। ऐसे में पुरोहितों और श्रद्धालुओं में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का खासा उत्साह है, हालांकि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए ज्यादातर मंदिरों में बड़े आयोजन नहीं होंगे। इस बार जन्माष्टमी पर कई शुभ संयोग बन रहे हैं। इन शुभ योग में कृष्णजी की पूजा करने से सभी मनोवांछित फलों की प्राप्ति होगी। हर साल स्मार्त और बैष्णव की अलग-अलग जन्माष्टमी होती थी। साफ-साफ कहा जाए तो पहले साधु-संत और गृहस्थ लोगों की जन्माष्टमी अलग-अलग होती लेकिन इस बार एक ही दिन जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा।
द्वापर युग जैसे सभी योग
द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि बुधवार को रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा के वृष राशि में रहते हुआ था। इस बार बुधवार की जगह सोमवार है और बाकी सभी योग द्वापर युग जैसे हैं। अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र सुबह 6:39 बजे शुरू हो जाएगा। चंद्रमा एक दिन पहले से अगले दिन शाम तक वृषभ राशि में रहेगा। अष्टमी भी रात दो बजकर दो मिनट तक रहेगी। वहीं, सोमवार चंद्रमा और शिव के अधिपत्य वाला दिन है, जो जन्माष्टमी में शुभ और वृद्धिकारक रहेगा।
सुबह 6:22 से रात 12:16 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग
इस बार कृष्ण जन्माष्टमी पर सुबह 6:22 बजे से रात 12:16 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग रहेगा। इस दिन पूजन अनुष्ठान और प्रसाद के अलावा भगवान की प्रतिमाएं, वस्त्र, शृंगार, आभूषण और सजावटी समान की खरीदारी करना मंगलकारी होगा। अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र एक साथ पड़ने से जयंती योग भी बन रहा है।
साधु और वैष्णव एक ही दिन मनाएंगे जन्माष्टमी
भारतीय नक्षत्रवाणी पंचांग के ज्योतिषाचार्य पं. राधेश्याम शास्त्री ने बताया कि 29 अगस्त रविवार को रात 11:26 बजे से अष्टमी लगेगी, जो 30 अगस्त सोमवार रात दो बजे तक रहेगी। 30 अगस्त को सुबह 6:39 बजे रोहिणी नक्षत्र भी लगेगा, जो अगले दिन 9:44 बजे तक रहेगा। ऐसे में साधु और गृहस्थ दोनों भगवान का जन्मोत्वस एक ही दिन मनाएंगे।