कोरोना के मामले में गिरावट के बाद खुले कोलकाता की काली मंदिर, जानें मंदिर पर लोगों की क्यों है इतनी आस्था
पहले ही दिन भक्तों की लंबी लाइन मंदिर के बाहर लगी थी
कोरोना संकट (Corona Crisis) की वजह से बंद पड़े दक्षिणेश्वर (Daskhineshwar Temple) स्थित मां काली का मंदिर (Goddess Kali) लगभग एक माह के बाद खुल गया. फिलहाल अधिकतम 20 जन मुख्य मंदिर के परिसर में एक साथ प्रवेश कर पाएंगे. मंदिर में प्रवेश के पहले गेट पर थर्मल चेकिंग की जा रही है. मंदिर में सेल्फी लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. इसके साथ ही भक्तों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना होगा.
मंदिर प्रबंधन से मिली जानकारी के मुताबिक गुरुवार सुबह सात बजे मंदिर के पट खुले हैं. पहले ही दिन भक्तों की लंबी लाइन मंदिर के बाहर लगी थी. सभी ने शारीरिक दूरी के प्रावधानों का बखूबी पालन किया है. कोरोना को लेकर जारी स्वास्थ्य दिशानिर्देशों का पालन करते हुए मां भवतारिणी के दर्शन किए जा रहे हैं.
कोरोना के मामले में गिरावट के बाद खुले मंदिर
गौरतलब है कि बंगाल में कोरोना के मामलों में आई गिरावट के बाद राज्य के प्रमुख धार्मिक स्थल फिर से खुलने लगे हैं. तारकेश्वर और तारापीठ के बाद मंगलवार से कालीघाट मंदिर और मायापुर स्थित चंद्रोदय मंदिर खुल गए थे और अब गुरुवार से दक्षिणेश्वर मंदिर खुला है. कालीघाट मंदिर को फिलहाल प्रातः छह बजे से दोपहर 12 बजे तक खोला जा रहा है.पूजा-अर्चना को लेकर कोई रोक नहीं लगाई गई है, हालांकि मंदिर के गर्भगृह में भक्तों को जाने की फिलहाल अनुमति नहीं है. बिना मास्क के मंदिर में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है.
51 शक्तिपीठों से एक है मंदिर
कोलकाता की हुगली नदी के तट पर स्थित यह काली मंदिर देशभर में मौजूद माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है. मान्यता है कि यहां पूजा करने वालों को मां काली मनोकामना पूरा करती है. ऐसी मान्यता है कि जब विष्णु भगवान ने अपने चक्र से मां सती के शरीर के टुकड़े किए थे तो उनके दाएं पैर की कुछ उंगलियां इसी जगह पर गिरी थीं. काली मां के भक्तों के लिए यह दुनिया के सबसे बड़े और प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है. रामकृष्ण परमहंस ने यहां मां की साधना की थी और उन्हें उनका दर्शन भी हुआ था. बाद में उनके शिष्य स्वामी विवेकानंद ने हिंदू धर्म का विश्व में प्रचार-प्रसार किया था.