जानिए हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता क्यों माना जाता है

Update: 2024-06-25 07:57 GMT

हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता:- In Hinduism, Vishwakarma is considered as the god of construction and creation

सृजन, निर्माण, वास्तुकला, औजार, शिल्पकला, मूर्तिकला एवं वाहनों समेत समस्त संसारिक वस्तुओं के अधिष्ठात्र देवता The presiding deity of all worldly things including sculptures and vehicles
भगवान विश्वकर्मा अपने सिंहासन पर विराजमान और अपने भक्तों से घिरे हुए
अन्य नाम विश्वकर्मा, देव शिल्पी, जगतकर्ता और शिल्पेश्वर
निवासस्थान विश्वकर्मा लोक
अस्त्र कमंडल, पाश,
प्रतीक औजार
माता-पिता वास्तुदेव (पिता), अंगिरसी (मां)
संतान बृहस्मति, नल-निल,संध्या, रिद्धि, सिद्धि और चित्रांगदा
त्यौहार विश्वकर्मा पूजा (१७ सितंबर हर साल)
बलुआ पत्थर से निर्मित एक आर्किटेक्चरल पैनेल में भगवान विश्वकर्मा (१०वीं शताब्दी) ; बीच में गरुड़ पर विराजमान विष्णु हैं, बाएँ ब्रह्मा हैं, तथा दायें तरफ भगवान विश्वकर्मा हैं। इस संग्रहालय में उनका नाम 'विश्नकुम' लिखा है।
हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था It is believed that he was the one who built the Golden Lanka। इनकी ऋद्धि सिद्धि और संज्ञा नाम की तीन पुत्रियाँ थी जिनमें से ऋद्धि सिद्धि का विवाह भगवान चंद्रशेखर और माता पार्वती के सबसे छोटे पुत्र भगवान गणेश से हुआ था तथा संज्ञा का विवाह महर्षि कश्यप और देवी अदिति के पुत्र भगवान सूर्यनारायण से हुआ था यमराज , यमुना , कालिंदी और अश्वनीकुमार इनकी ही संताने हैं।
वेदों में उल्लेख
ऋग्वेद मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐ लिखी हुई है There are 11 verses written in the Rigveda by the name of Vishwakarma Sukta. जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि। यही सुक्त यजुर्वेद अध्याय 17, सुक्त मन्त्र 16 से 31 तक 16 मन्त्रो मे आया है ऋग्वेद मे विश्वकर्मा शब्द का एक बार इन्द्र व सुर्य का विशेषण बनकर भी प्रयुक्त हुआ है। परवर्ती वेदों मे भी विशेषण रूप मे इसके प्रयोग अज्ञत नही है यह प्रजापति का भी विशेषण बन कर आया है। पूर्ण परमात्मा ने इस संसार को बनाया है उन्होंने माँ के गर्भ में भी हमारा पालन-पोषण किया। क्या उस परमात्मा की जगह हम अन्य देवी – देवताओं को विश्व रचयिता कह सकते है, बिल्कुल नहींं।
महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र बृहस्पति की बहन भुवना जो ब्रह्मविद्या जानने वाली थी वह अष्टम् वसु महर्षि The eighth Vasu Maharshi was the one who knew Brahma Vidya प्रभास की पत्नी बनी और उससे सम्पुर्ण शिल्प विद्या के ज्ञाता प्रजापति विश्वकर्मा का जन्म हुआ। पुराणों में कहीं योगसिद्धा, वरस्त्री नाम भी बृहस्पति की बहन का लिखा है। शिल्प शास्त्र का कर्ता वह ईश विश्वकर्मा देवताओं का आचार्य है, सम्पूर्ण सिद्धियों का जनक है, वह प्रभास ऋषि का पुत्र है और महर्षि अंगिरा के ज्येष्ठ पुत्र का भानजा है।
अर्थात अंगिरा का दौहितृ (दोहिता) है। अंगिरा कुल से विश्वकर्मा का सम्बन्ध तो सभी विद्वान स्वीकार करते हैं All scholars accept the relation। जिस तरह भारत मे विश्वकर्मा को शिल्पशस्त्र का अविष्कार करने वाला देवता माना जाता हे और सभी कारीगर उनकी पुजा करते हे। उसी तरह चीन मे लु पान को बदइयों का देवता माना जाता है। प्राचीन ग्रन्थों के मनन-अनुशीलन से यह विदित होता है कि जहाँ ब्रहा, विष्णु ओर महेश की वन्दना-अर्चना हुई है, वही भनवान विश्वकर्मा को भी स्मरण-परिष्टवन किया गया है। " विश्वकर्मा" शब्द से ही यह अर्थ-व्यंजित होता है
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