जानिए क्यों मनाया जाता है गुड़ी पड़वा का पर्व ?
हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवसंवत्सर का प्रारंभ माना जाता है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवसंवत्सर का प्रारंभ माना जाता है। इसी दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। इस दिन को गुड़ी पड़वा के नाम से मनाया जाता है जिसका हिन्दू धर्म में बहुत महत्व माना गया है। गुड़ी का अर्थ है ध्वज अर्थात झंडा और प्रतिपदा तिथि को पड़वा कहा जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार गुड़ी पड़वा 2 अप्रैल 2022 को है। इस दिन महिलाएं सुबह सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि के बाद विजय के प्रतीक के रूप में घर में सुंदर गुड़ी लगाती हैं और उसका पूजन करती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से वहां की नकारात्मकता दूर होती है और घर में सुख-शांति खुशहाली आती है। विशेष तौर पर यह पर्व कर्नाटक,गोवा,महाराष्ट्र,आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है। गुड़ी पड़वा का दिन स्वास्थ्य की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन खास तरह के पकवान श्री खंड,पूरनपोली,खीर आदि बनाए जाते हैं। गुड़ी पड़वा के बारे में कहा जाता है कि खाली पेट पूरन पोली का सेवन करने से चर्म रोग की समस्या भी दूर हो जाती है।