जानिए क्यों मनाया जाता है भैया दूज का पर्व, जिसके साथ होता है पंच दिवसीय दीपोत्सव का समापन

कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर मनाया जाने वाला भैया दूज का पर्व भाई व बहन के बीच अटूट प्यार व विश्वास का प्रतीक है

Update: 2020-11-09 11:09 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भारत में त्यौहारों का एक पौराणिक महत्व अवश्य है. हर व्रत, पर्व व त्यौहार किसी ना किसी विशेष उद्देश्य से ही मनाया जाता है. इसी तरह एक पर्व है भैया दूज. जो दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर मनाया जाने वाला भैया दूज का पर्व भाई व बहन के बीच अटूट प्यार व विश्वास का प्रतीक है.


भैया दूज पर बहनें भाईयों के माथे पर तिलक लगाती हैं, उन्हें सूखा नारियल देकर उनकी सुख-समृद्धि व खुशहाली की कामना करती हैं. चलिए बताते हैं इस बार भैया दूज का पर्व कब है और आखिर कैसे इस पर्व को मनाने की परंपरा शुरु हुई.


इस दिन है भैया दूज 2020 का पर्व

इस बार दीवाली का त्यौहार 14 नवंबर को मनाया जाएगा. और इसके ठीक दो दिन बाद यानि 16 नवंबर को होगा भैया दूज का पर्व. और इसी पर्व के साथ पंच दिवसीय दीपोत्सव का समापन भी हो जाता है.


इसीलिए मनाया जाता है भैया दूज

पौराणिक मान्यता के मुताबिक यमराज को उनकी बहन यमुना ने कई बार मिलने के लिए बुलाया. लेकिन यम जा ही नहीं पाते थे. एक दिन वो अपनी बहन के घर उनसे मिलने पहुंचे, तो बहन यमुना की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. उन्होंने यमराज को बड़े ही प्यार व आदर से भोजन कराया और तिलक लगाकर उनकी खुशहाली की कामना की. खुश होकर यमराज ने बहन यमुना से वरदान मांगने को कहा - तब यमुना ने मांगा कि इस तरह ही आप हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया मेरे घर आया करो. वहीं इस दिन जो भी भाई अपनी बहन के घर जाएगा और उनके घर में भोजन करेगा व बहन से तिलक करवाएगा तो उसे यम व अकाल मृत्यु का भय नहीं होगा। तब यमराज ने उनके वरदान को पूरा किया. और तभी से इस दिन भैया दूज मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई.


इस दिन यमुना में लगाई जाती है डुबकी

यही कारण है कि इस दिन यमुना में डुबकी लगाने की परंपरा है. यमुना में स्नान करने का बड़ा ही महत्व इस दिन बताया गया है.

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