जानिए आखिर क्यों हिंदू धर्म में की जाती है पीपल के पेड़ की पूजा
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को पवित्र वृक्ष माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है
हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को पवित्र वृक्ष माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का भी वास माना गया है इसलिए पीपल की पूजा करने से न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है। जानिए आखिर क्यों हिंदू धर्म में पीपल के पेड़ को पूजना शुभ माना जाता है।
पुराणों में क्या है पीपल का महत्व?
स्कंद पुराण में पीपल के पेड़ के बारे में बताया गया है कि आखिर वह इतना महत्वपूर्ण क्यों है।
मूले विष्णु: स्थितो नित्यं स्कन्धे केशव एव च।
नारायणस्तु शारवासु पत्रेषु भगवान् हरि:।।
फलेऽच्युतो न सन्देह: सर्वदेवै: समन्व स एवं ष्णिुद्र्रुम एव मूर्तो महात्मभि: सेवितपुण्यमूल:।
यस्याश्रय: पापसहस्त्रहन्ता भवेन्नृणां कामदुघो गुणाढ्य:।।
इस श्लोक का अर्थ है कि पीपल के पेड़ की जड़ में विष्णु जी, तने में केशव, शाखओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवता निवास करते हैं। पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है। महात्मा इस वृक्ष की सेवा करते हैं और यह वृक्ष मनुष्यों के पापों को नष्ट करने वाला है। इसके साथ ही पीपल में पितरों और तीर्थों का निवास होता है।
पीपल के पेड़ की पूजा करने से लाभ
पितृदोष से मिलेगी मुक्ति
पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए रोजाना पीपल की जड़ में जल अर्पित करना लाभकारी होगा। इसके साथ ही पीपल के पौधे लगाना शुभ होगा। रोजाना पीपल के पेड़ की पूजा करने से पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है।
शनि दोष से मिलेगी मुक्ति
शनिवार के दिन पीपल के पेड़ में जल चढ़ाने और तेल का दीपक जलाने से शनि की साढ़े साती और ढैय्या से भी छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही पीपल के पेड़ की परिक्रमा जरूर करें।
देवी-देवताओं का मिलता है आशीर्वाद
रोजाना पीपल के पेड़ की पूजा करने से देवी-देवताओं का आशीर्वाद मिलता है। क्योंकि इस वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का वास होता है। इसके साथ ही अक्षय पुष्ण की प्राप्ति होती है।