जानिए क्यों मां लक्ष्मी को कहा जाता है धन की देवी

माता लक्ष्मी को धन और समृद्धि की लक्ष्मी माना गया है. कहा जाता है कि जिस व्यक्ति पर मां लक्ष्मी की कृपा हो, उसके जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती. यहां जानिए माता लक्ष्मी को धन की देवी क्यों कहा गया है. उनकी पूजा शुक्रवार को ही क्यों की जाती है.

Update: 2022-02-04 02:43 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म शास्त्र में हर दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित किया गया है. शुक्रवार का दिन माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) को समर्पित होता है. माता लक्ष्मी को धन की देवी (Goddess of Wealth) माना गया है. माना जाता है कि जिस व्यक्ति पर माता लक्ष्मी की कृपा हो जाए, उसके जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रहती. माता लक्ष्मी को धन, वैभव और सुख समृद्धि की देवी कहा जाता है. लेकिन शास्त्रों में मां लक्ष्मी की प्रकृति चंचल बताई गई है. उन्हें घर में स्थायी रूप से बनाए रखने के लिए उनकी नियमित रूप से पूजा करना और उन्हें प्रसन्न रखना बहुत जरूरी है. मां लक्ष्मी के पूजन के लिए और तमाम मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए लोग शुक्रवार को वैभव लक्ष्मी (Vaibhav Lakshmi) का व्रत भी रखते हैं. यहां जानिए मां लक्ष्मी को क्यों धन की देवी कहा जाता है और क्यों उनके लिए शुक्रवार का दिन समर्पित किया गया.

मां लक्ष्मी की उत्पत्ति की कथा
विष्णु पुराण के अनुसार एक बार एक बार ऋषि दुर्वासा ने इंद्र को फूलों की माला प्रसन्न होकर दी, लेकिन इंद्र ने उस माला को अपने ऐरावत हाथी के सिर पर रख दिया, जिसे हाथी ने पृथ्वी लोक में फेंक दिया. इससे दुर्वासा ऋषि बहुत नाराज हुए. उन्होंने इंद्र को श्राप दे दिया कि जिस धन समृद्धि के बल पर तुमने मेरी इस भेंट का अनादर किया है, आज से तुम उस लक्ष्मी से विहीन हो जाओगे. तुम्हारा स्वर्ग लोक ही नहीं ये तीनों लोक श्रीहीन हो जाएंगे.
इस श्राप के कारण तीनों लोकों में हाहाकार मच गया, दानव काफी प्रबल हो गए और देवता दुर्बल हो गए. तीनों लोकों पर दानवों का आधिपत्य हो गया. ऐसे में इंद्र भगवान विष्णु के पास इस परेशानी का हल पूछने गए. तब श्री विष्णु ने कहा कि समुद्र मंथन के जरिए भी 'श्री' को फिर से प्राप्त किया जा सकता है. साथ ही आपको अमृत मिलेगा, जिससे आप अमर हो सकते हैं. आपके अमृत्व के कारण दानव भी आपको पराजित नहीं कर पाएंगे.
श्री हरि के सलाहनुसार देवताओं ने दानवों के साथ मिलकर क्षीर सागर में समुद्र मंथन किया. समुद्र मंथन से 14 रत्न समेत अमृत और विष की प्राप्ति हुई. इसी दौरान माता लक्ष्मी की भी उत्पत्ति हुई. माता लक्ष्मी को श्रीहरि ने अपनी अर्धांग्नी रूप में धारण किया. लक्ष्मी के उत्पन्न होने के साथ तीनों लोकों में सुख समृद्धि वापस लौट आयी. देवताओं ने अमृत पान किया, अमर हो गए. उन्होंने दानवों के आतंक से मुक्ति पा ली. तब से माता लक्ष्मी को धन, वैभव, सुख और समृद्धि की देवी कहा जाने लगा.
चूंकि शुक्रवार का दिन देवियों को समर्पित होता है. इस कारण माता लक्ष्मी के पूजन के लिए शुक्रवार के दिन को माता लक्ष्मी के तमाम स्वरूपों, मां दुर्गा, मां संतोषी की पूजा के लिए समर्पित माना गया है.


Tags:    

Similar News

-->