जानिए आखिर क्यों भगवान श्रीकृष्ण धारण करते हैं मोर मुकुट

Update: 2022-08-16 06:54 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।    हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्वस के रूप में कृष्ण जन्माष्टमी (Janmashtami) मनाई जाती है. कहा जाता है कि इसी दिन रोहिणी नक्षत्र में कान्हा का जन्म हुआ था. इस साल कृष्ण जन्माष्टमी गुरुवार 18 अगस्त 2022 को है. भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी कई लीलाएं और मान्यताएं हैं. माता यशोदा अपने कान्हा का खूब श्रृंगार करती थीं. इन्हीं में से एक है उनके मुकुट पर हमेशा मोर पंख का लगा होना. माता यशोदा भी अपने कान्हा को बचपन से ही सिर पर एक मोर पंख लगा कर सजाती थीं.

शास्त्रों के अनुसार श्रीकृष्ण भगवान विष्णु के 10 अवतारों में से एक ऐसे अवतार हैं, जिन्होंने मोर मुकुट धारण किया. कान्हा के मुकुट पर हमेशा मोर पंख क्यों सजा होता है? इसके पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं आखिर क्यों भगवान श्रीकृष्ण धारण करते हैं मोर मुकुट?
कान्हा के मोर मुकुट धारण करने की कथा
राधारानी की निशानी– एक कथा के अनुसार, जब कान्हा और राधा नृत्य कर रहे थे, तभी एक मोर का पंख जमीन पर गिर गया. श्रीकृष्ण ने उस मोर पंख को उठाकर अपने मुकुट पर धारण कर लिया. राधा ने श्रीकृष्ण से जब इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा, इन मोरों के नृत्य करने में उन्हें राधा का प्रेम दिखाई देता है.
मोर पंख में सभी रंग- भगवान श्रीकृष्ण का जीवन एक जैसा नहीं था. उनके जीवन में सुख-दुख के कई रंग और अलग-अलग भाव थे. जिस तरह मोर पंख में कई रंग समाहित होते हैं, ठीक उसी तरह प्रभु के जीवन में भी कई रंग मौजूद थे. मोर पंख इस बात का भी संदेश हैं कि जीवन बहुत रंगीन है. लेकिन यदि आप दुखी मन से इस देखेंगे तो आपको जीवन बेरंग लगेगा और खुशी से देखेंगे तो मोर पंख की तरह जीवन में रंग ही रंग नजर आएगा.
ये भी है कारण
मोर को पवित्र पक्षी माना जाता है, इसलिए भी इसके पंख को भगवान श्रीकृष्ण अपने मस्तिष्क पर धारण करते हैं. पंडित जी कहते हैं कि श्रीकृष्ण ने मोरपंख इसलिए भी धारण किया क्योंकि उनकी कुंडली में कालसर्प दोष था. मोर पंख से वह दोष दूर जाता है, इसलिए भी कृष्ण सदैव अपने पास मोर पंख रखते थे.
Tags:    

Similar News

-->