जानिए कब है शीतला अष्टमी और बसौड़ा पर्व
प्रतिवर्ष शीतला सप्तमी या अष्टमी के दिन शीतला माता का व्रत किया जाता है।
प्रतिवर्ष शीतला सप्तमी या अष्टमी के दिन शीतला माता का व्रत किया जाता है। यह व्रत केवल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी-अष्टमी को होता है और यही तिथि मुख्य मानी गई है। शीतला माता को समर्पित यह दिन होली के आठवें दिन मनाया जाता है। किंतु स्कन्दपुराण के अनुसार इस व्रत को चार महीनों में करने का विधान है।
इसमें पूर्वविद्धा अष्टमी (व्रतमात्रेऽष्टमी कृष्णा पूर्वा शुक्लाष्टमी परा) ली जाती है। चूंकि इस व्रत पर एक दिन पूर्व बनाया हुआ भोजन किया जाता है अतः इस व्रत को बसौड़ा, लसौड़ा या बसियौरा भी कहते हैं। शीतला को चेचक नाम से भी जाना जाता है।
शीतला अष्टमी पर पूजन के शुभ मुहूर्त
शीतला सप्तमी पूजा मुहूर्त- सुबह 06:08 मिनट से शाम 06:41 तक रहेगा।
इस बार अष्टमी तिथि प्रारंभ- 04 अप्रैल 2021 को सुबह 04:12 से होकर 05 अप्रैल 2021 को सुबह 02:59 पर अष्टमी तिथि समाप्त होगी।
पूजन अवधि का समय 12 घंटे 33 मिनट तक रहेगा।
शीतला अष्टमी के दिन बन रहे ये शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 05 अप्रैल सुबह 04:24 से 05:09 सुबह तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:47 सुबह से 12:37 शाम तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 शाम से 03:07 शाम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:14 शाम से 06:38 शाम तक।
अमृत काल- 09:24 शाम से 10:58 शाम तक।
निशिता मुहूर्त-11:48 शाम से 12:34 सुबह, अप्रैल 05 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग- अप्रैल 05 सुबह 02:06 से सुबह 05:55 तक।
कैसे करें व्रत-
* शीतला सप्तमी या अष्टमी का व्रत केवल चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी या अष्टमी को होता है।
* इस दिन व्रती को प्रातःकालीन कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
* स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए -
'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
* संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
* इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं।
* यदि आप चतुर्मासी व्रत कर रहे हो तो भोग में माह के अनुसार भोग लगाएं। जैसे- चैत्र में शीतल पदार्थ, वैशाख में घी और शर्करा से युक्त सत्तू, ज्येष्ठ में एक दिन पूर्व बनाए गए पूए तथा आषाढ़ में घी और शक्कर मिली हुई खीर।
* तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और शीतला अष्टमी की कथा सुनें।
* रात्रि में जगराता करें और दीपमालाएं प्रज्ज्वलित करें।
नोट : इस दिन व्रती को चाहिए कि वह स्वयं तथा परिवार का कोई भी सदस्य किसी भी प्रकार के गरम पदार्थ का सेवन न करें। इस व्रत के लिए एक दिन पूर्व ही भोजन बनाकर रख लें तथा उसे ही ग्रहण करें।