जानें कब है मीन संक्रान्ति.....इसका धार्मिक महत्व क्या है
सूर्य हर माह अपनी राशि बदलता है. जब सूर्यदेव मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मीन संक्रान्ति कहा जाता है. मीन संक्रान्ति को शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है. यहां जानिए मीन संक्रान्ति से जुड़ी खास बातें.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू कैलेंडर (Hindu Calendar) के हिसाब से कुल 12 संक्रान्ति होती हैं. हर माह में सूर्य के राशि परिवर्तन के साथ ही एक नई संक्रान्ति शुरू होती है. जब सूर्यदेव राशियों को बदलते हुए मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मीन संक्रान्ति (Meen Sankranti) के नाम से जाना जाता है. मीन संक्रान्ति को बेहद शुभ माना गया है और इस दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है. मीन संक्रान्ति हिंदू कैलेंडर के हिसाब से फाल्गुन माह में पड़ती है, इसलिए इसे साल की आखिरी संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता हैं. ओडिशा (Odisha) में मीन संक्रांति बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है. इस बार मीन संक्रान्ति 15 मार्च को पड़ रही है. यहां जानिए मीन संक्रान्ति का धार्मिक महत्व व अन्य जानकारियां.
14 व 15 मार्च की मध्य रात्रि में होगा सूर्य का राशि परिवर्तन
सूर्य का राशि परिवर्तन 14 व 15 मार्च की मध्य रात्रि में होगा. सूर्यदेव 14 मार्च को रात 12:30 बजे मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इसके साथ ही मीन संक्रान्ति की शुरुआत हो जाएगी. मीन संक्रांति का महापुण्यकाल सुबह 06 बजकर 31 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक रहेगा. पुण्यकाल सुबह 08 बजकर 31 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा.
ये है मीन संक्रान्ति का धार्मिक महत्व
शास्त्रों में मीन संक्रान्ति को बहुत खास माना गया है. मीन संक्रान्ति से ही सूर्यदेव की गति उत्तरायण की तरफ बढ़ने लगती है. उत्तरायण होते ही दिन बड़ा होने लगता है और रात छोटी होने लगती हैं. उत्तरायण को देवताओं का समय कहा गया है. माना जाता है कि इसमें देवता काफी सशक्त हो जाते हैं. कहा जाता है कि मीन संक्रान्ति पर पवित्र नदियों का स्नान करने से नकारात्मकता दूर होती है, पाप कटते हैं और सुख समृद्धि आती है.
सूर्य उपासना का दिन
इस दिन को सूर्य उपासना का दिन माना जाता है. कहा जाता है ऐसा करने से नकारात्मकाता दूर होती है और ऊर्जा की प्राप्ति होती है. इस दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नदी में स्नान करें या घर में गंगाजल पानी में डालकर स्नान करें. स्नान करने का बाद सूर्यदेव को प्रणाम करके उन्हें अर्घ्य दें. मंदिर में जाकर भगवान के दर्शन करें और अधिक से अधिक मंत्रों का जाप करें. सामर्थ्य के अनुसार दान पुण्य करें. इस दिन गाय को चारा खिलाना भी बेहद शुभ माना जाता है.