हिन्दू धार्मिक मान्यताओ के अनुसार शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है। किसी भी धार्मिक कार्य में शंख को बजाना बहुत ही शुभ माना जाता है। यह प्रथा सदियों से चली आ रही है। शंख को बजाने से घर में सुख समृद्धि बनी रहती है क्योकि इन्हें माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु ने अपने हाथो में धारण किया हुआ है जो घर के साथ साथ आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बना देता है लेकिन इसको बजाने के भी कुछ नियम या कब और किस समय पर बजाना शुभ रहता है, यह जानना भी बहुत जरूरी होता है, तो आइये जानते है इस बारे में...
# ऐसा माना जाता है की पूजा शुरू करने से पहले 3 बार शंख बजाने से वातावरण शुद्ध हो जाता है। इससे नकारात्मक का अंत हो जाता है। इसको बजाने से उत्प्प्न हुई ध्वनि देवता को प्रसन्न करती है और मन को शांति मिलती है।
# पूजा के बाद आरती में शंख बजाना आवशयक होता है इससे पूजा सार्थक मानी जाती है। इसको बजाने से रज तम और सत्व गुण की प्राप्ति होती है, इसलिए पूजा के अंत में शंख बजाना जरूरी हो जाता है।
# व्यक्ति को शंख एकाग्रता से ध्यान मग्न होकर बजाना अच्छा रहता है। इसको बजाते समय व्यक्ति की गर्दन उपर की और होनी जरुरी होती है। इससे माना जाता है की वह ईश्वर की भक्ति में लीन हो चूका होता है।
# शंख को बजाने से साँस लेने की गति पर नियंत्रण हो जाता है। साँस को पूरी तरह से भरने के बाद ही शंख बजाना फलदायी होता है। इससे व्यक्ति सक्षम और नकारात्मक उर्जा को नष्ट करती है।
# शंख बजाते समय इसे बेहद धीरे से आरंभ करना सही होता है। इसे धीरे-धीरे क्रमागत रूप से प्रखर ध्वनि में तब्दील करना चाहिए ताकि शुरू से आखिर तक व्यक्ति की ऊर्जा का क्रम निश्चित रहे।