संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा कौन सी है, जानिए
है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 20 फरवरी दिन रविवार को है. यह फरवरी महीने की आखिरी चतुर्थी व्रत है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान गणेश के भक्तों को फाल्गुन माह (phalgun month) की संकष्टी चतुर्थी का इंतजार रहता है. इस बार संकष्टी चतुर्थी 20 फरवरी दिन रविवार को है. यह फरवरी महीने की आखिरी चतुर्थी व्रत है. इस दिन श्री गणेश जी (Lord Ganesh) की पूजा अर्चना कर उन्हें प्रसन्न किया जाता है. साथ ही रात के समय चंद्रमा की पूजा कर जल अर्पित किया जाता है. जो लोग इस दिन व्रत रखते हैं उन्हें संकष्टी चतुर्थी व्रत (Sankashti Chaturthi 2022 Vrat) कथा जरूर पढ़नी चाहिए. आज हम आपको बताएंगे कि संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा कौन सी है.
संकष्टी चतुर्थी की प्रचलित व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सभी देवी-देवताओं के ऊपर भारी संकट आ गया. जब वह खुद से उस संकट का समाधान नहीं निकाल पाए तो भगवान शिव के पास मदद मांगने के लिए गए. भगवान शिव ने गणेश जी और कार्तिकेय से संकट का समाधान करने के लिए कहा तो दोनों भाइयों ने कहा कि वे आसानी से इसका समाधान कर लेंगे. इस प्रकार शिवजी दुविधा में आ गए. उन्होंने कहा कि इस पृथ्वी का चक्कर लगाकर जो सबसे पहले मेरे पास आएगा वही समाधान करने जाएगा. भगवान कार्तिकेय बिना किसी देर किए अपने वाहन मोर पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा करने के लिए निकल गए. वहीं गणेश जी के पास मूषक की सवारी थी. ऐसे में मोर की तुलना में मूषक का जल्दी परिक्रमा करना संभव नहीं था. तब उन्होंने बड़ी चतुराई से पृथ्वी का चक्कर ना लगाकर अपने स्थान पर खड़े होकर माता पार्वती और भगवान शिव की 7 परिक्रमा की. जब महादेव ने गणेश जी से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया तो इस पर गणेश जी बोले माता पिता के चरणों में ही पूरा संसार होता है. इस वजह से मैंने आप की परिक्रमा की. यह उत्तर सुनकर भगवान शिव और माता पार्वती बेहद प्रसन्न हुए और उन्होंने देवताओं का संकट दूर करने के लिए गणेश जी को चुना. इसी के साथ भगवान शिव ने गणेश जी को यह आशीर्वाद भी दिया कि जो भी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन कर चंद्रमा को जल अर्पित करेगा उसके सभी दुख दूर हो जाएंगे. साथ ही पाप का नाश और सुख समृद्धि की प्राप्ति होगी.