जानिए कुंडली के किस भाग में बुधादित्य योग का क्या पड़ता है प्रभाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार आदित्य शब्द सूर्य का पर्यायवाची है और कुंडली में बुध और सूर्य के एक साथ होने से बुधादित्य योग बनता है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। वैदिक ज्योतिष के अनुसार आदित्य शब्द सूर्य का पर्यायवाची है और कुंडली में बुध और सूर्य के एक साथ होने से बुधादित्य योग बनता है. ज्योतिष शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि बुधादित्य योग का लोगों पर शुभ प्रभाव ही देखने को मिलता है. यह योग लगभग सभी कुंडलियों में पाया जाता है. बुधादित्य योग कुंडली के जिस भाव में होता है उसे प्रबल बनाने का काम करता है. बुध और सूर्य ग्रह के एक साथ एक ही घर में होने से यह विशेष फल प्रदान करने वाला योग कहलाता है.
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधादित्य योग से धन वैभव मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. ज्योतिष एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं कुंडली के किस भाग में बुधादित्य योग का क्या प्रभाव पड़ता है.
प्रथम भाव
ज्योतिष शास्त्र में ऐसा बताया गया है कि यदि किसी व्यक्ति के प्रथम भाव में बुधादित्य योग बन रहा हो तो ऐसे में उस व्यक्ति को मान-सम्मान और यश की प्राप्ति होती है. बुधादित्य योग के बनने से जातक को करियर के प्रति गंभीर रहना पड़ता है और ऐसे में वह अपने लक्ष्य की पूर्ति के लिए कार्यकर्ता देखता है और उसे अपने लक्ष्य की प्राप्ति भी होती है.
द्वितीय भाव
द्वितीय भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे व्यक्ति को सुखी जीवन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है. ऐसे लोगों को हर तरह की जानकारी प्राप्त करना पसंद होता है. यह किताबों से अध्ययन करने में ज्यादा समय व्यतीत करते हैं.
तृतीय भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में तीसरे भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे लोगों को भाई-बहनों से ज्यादा प्यार नहीं मिलता और रिश्तेदारों से भी कष्ट मिलता है. ऐसे लोग नौकरी और व्यवसाय में सफलता प्राप्त करते हैं. माता-पिता का सहयोग मिलता है और अलग-अलग रचनात्मक कार्य करने की ललक इनमें रहती है. इन लोगों को सेना, पुलिस और राजनीति में अच्छे पद की प्राप्ति होती है.
चतुर्थ भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चतुर्थ भाव में बुधादित्य योग बनता है तो ऐसा व्यक्ति स्वयं विद्वान होने के साथ-साथ विद्वानों और श्रेष्ठ लोगों के साथ रहना पसंद करता है. ऐसे व्यक्तियों को वाहन सुख, विदेश यात्रा, सरकारी नौकरी, अपना घर वह सभी चीजें मिलती हैं. जो एक सामान्य व्यक्ति को चाहिए होती है.
पंचम भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के पांचवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे में उस व्यक्ति को अल्पायु संतान प्राप्त होती है, लेकिन गुणवान संतान को जन्म देता है. यह संतान इस व्यक्ति की नाम रोशन करता है पांचवें भाव में बुध आदित्य योग अध्यात्म और कला की तरफ रुचि बढ़ाता है.
षष्ठ भाव
किसी की कुंडली में छठे भाव में बुधादित्य योग का बनना विरोधियों के कारण समस्याएं आने का कारण बनता है. इस तरह के व्यक्ति चुनौतियों से निपटने की शक्ति रखते हैं और आप विश्वास से भरे हुए होते हैं. ऐसे व्यक्तियों को निवेश से लाभ मिलता है और पिता उच्च पद प्राप्त कर सकते हैं.
सप्तम भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली के सातवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे में ऐसे व्यक्तियों को दांपत्य जीवन में परेशानियां आती हैं. वैवाहिक जीवन नीरस हो सकता है. जीवनसाथी से सहयोग कम मिलता है. व्यक्ति समाजसेवी और स्वयंसेवी संस्थानों से जुड़ा हुआ होता है.
अष्टम भाव
किसी व्यक्ति की कुंडली में आठवें भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे में व्यक्ति दूसरों के सहयोग के चक्कर में खुद को ही उलझा सकता है. इस योग के बनने से व्यक्ति विदेश मुद्रा में व्यापार करता है और एक सफल व्यवसायी बन सकता है. ऐसे व्यक्तियों को दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है.
नवम भाव
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में नवे भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे में व्यक्ति को बहुत से शुभ फल प्राप्त होते हैं. ऐसे व्यक्तियों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता हासिल होती है.
दशम भाव
कुंडली के दसवें भाव में बुधादित्य योग का बनना व्यक्ति को चतुर साहसी और संगीत प्रेमी बनाता है. ऐसे व्यक्तियों को नौकरी और व्यापार में अपार सफलता प्राप्त हो सकती है ऐसे व्यक्ति सामाजिक कार्यों में हिस्सा लेते हैं.
एकादश भाव
यदि किसी व्यक्ति के एकादश भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे व्यक्ति सरकार या सरकारी प्रतिष्ठानों से धन की प्राप्ति करते हैं. ऐसे व्यक्ति धन-धान्य से संपन्न और ऐश और आराम से जीवन जीवन जीने वाले होते हैं. कला के क्षेत्र में ऐसे व्यक्तियों का रुझान बढ़ता है.
द्वादश भाव
यदि व्यक्ति की कुंडली के द्वादश भाव में बुधादित्य योग बन रहा है तो ऐसे व्यक्ति धन के मामले में अच्छा नहीं माना जा सकता. ऐसे व्यक्तियों को पारिवारिक विवाद का सामना भी करना पड़ सकता है. द्वादश भाव में इस योग के बनने से व्यक्ति आकस्मिक धन लाभ के अफसरों में फंसकर अपना सब कुछ लुटा देते हैं. ऐसे लोगों को विदेशों में सफलता मिलती है.