जानिए क्या है गोकुलाष्टमी, इसका महत्व और पूजा विधि ,शुभ मुहूर्त

कृष्ण जन्माष्टमी सभी हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण और शुभ त्योहारों में से एक है

Update: 2021-08-23 14:15 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कृष्ण जन्माष्टमी सभी हिंदुओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण और शुभ त्योहारों में से एक है क्योंकि ये एक ऐसा दिन है जब भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था. कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णष्टमी, गोकुलाष्टमी, अष्टमी रोहिणी, श्रीकृष्ण जयंती और श्री जयंती जैसे विभिन्न नामों से मनाया जाता है.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर साल, ये शुभ त्योहार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि या भाद्रपद महीने में अंधेरे पखवाड़े के 8वें दिन पड़ता है. इस दिन, भक्त एक दिन का उपवास रखते हैं और भगवान कृष्ण का आशीर्वाद लेने के लिए उनकी पूजा करते हैं. साथ ही, भक्त भगवान कृष्ण के जन्मदिन को मनाने के लिए अपने घर के मंदिर को सजाते हैं.

कृष्ण जन्माष्टमी 2021 : तिथि और शुभ मुहूर्त

दिनांक : 30 अगस्त, सोमवार

शुभ तिथि शुरू : 11:25 सायं, 29 अगस्त, 2021

शुभ तिथि समाप्त : 01:59 रात्रि:, 31 अगस्त, 2021

मध्य रात्रि क्षण : 12:22 रात्रि, 31 अगस्त

चंद्रोदय क्षण : 11:35 सायं

कृष्ण दशमी रोहिणी नक्षत्र प्रारंभ : 30 अगस्त 2021 को प्रात: 06:39

रोहिणी नक्षत्र समाप्त : 31 अगस्त, 2021 को प्रात: 09:44

दही हांडी मंगलवार, अगस्त 31, 2021

कृष्ण जन्माष्टमी 2021 : निशिता पूजा मुहूर्त

कृष्ण पूजा करने का समय निशिता काल के दौरान होता है जो वैदिक समय के अनुसार मध्यरात्रि है. शुभ मुहूर्त 11:59 बजे से शुरू होगा और 12:44 रात्रि, 31 अगस्त, 2021 तक जारी रहेगा.

कृष्ण जन्माष्टमी 2021 : महत्व

भगवान कृष्ण, भगवान विष्णु के आठवें अवतार हैं. वो सभी बुरी आत्माओं, विशेष रूप से मथुरा के शासक राजा कंस को मिटाने के लिए धरती पर आए थे. उनका जन्म देवकी और वासुदेव से हुआ था, हालांकि, वृंदावन में यशोदा और नंद द्वारा उनका पालन-पोषण किया गया था. जो भक्त इस दिन उपवास करते हैं, उन्हें समृद्ध और स्वस्थ जीवन का आशीर्वाद मिलता है. साथ ही उन्हें सफलता के रास्ते में आने वाली सभी बाधाओं को दूर करने की ताकत मिलती है.

कृष्ण जन्माष्टमी के लिए महिलाएं काफी समय से प्रतीक्षारत रहती हैं और इस दिन मंदिरों में काफी मात्रा में श्रद्धालु जाते हैं और भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करते हैं. दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिरों में आते हैं. खास तौर से मथुरा-वृंदावन में मंदिरों को भव्य रूप में सजाया जाता है और कई दिनों तक भगवान श्रीकृष्ण के गुणों और कथाओं का बखान किया जाता है. लोग भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का आज भी अनुसरण करते हैं. महाभारत के समय में श्रीकृष्ण ने ही अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था जिसका लोग आज भी अनुसरण करते हैं और उनका गुणगान करते हैं.

नोट- यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.

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