जानिए धृतराष्ट्र की सभा में अपमानित द्रौपदी के प्रश्न पर भीष्म पितामह युधिष्ठिर को लेकर यह क्या बोल गए
महाराज धृतराष्ट्र की सभा में अपमानित हुई द्रौपदी ने वहां उपस्थित लोगों के बीच कहा कि मैं तो धर्मराज की पत्नी और क्षत्राणी हूं, मुझसे जो कहा जाएगा वह मैं करूंगी.
महाराज धृतराष्ट्र की सभा में अपमानित हुई द्रौपदी ने वहां उपस्थित लोगों के बीच कहा कि मैं तो धर्मराज की पत्नी और क्षत्राणी हूं, मुझसे जो कहा जाएगा वह मैं करूंगी. लेकिन मैं यहां उपस्थित लोगों से प्रश्न पूछती हूं कि तुम लोग मुझे जीती हुई समझते हो या नहीं. इस प्रश्न का मुझे स्पष्ट जवाब चाहिए फिर मुझसे जैसा कहा जाएगा मैं वही करूंगी.
भीष्म पितामह बोले, युधिष्ठिर का जवाब ही प्रमाण माना जाए
इसके बाद सभा में कुछ देर सन्नाटा छाया रहा. इस सन्नाटे को तोड़ते हुए भीष्म पितामह ने कहा कि तुम्हारा प्रश्न बहुत ही सूक्ष्म, गहन और गौरवपूर्ण है. कोई भी निश्चय पूर्वक इसका उत्तर नहीं दे सकता है. इस समय कौरव लोभ और मोह के वश में हो गए हैं. यह इस बात की सूचना है कि शीघ्र ही कुरुकुल का नाश हो जाएगा. तुम जिस कुल की बहू हो, उस कुल के लोग बड़े-बड़े दुख सहकर भी अपने नीति और सिद्धांत से नहीं डिगते हैं.
भीष्म पितामह ने कहा कि इसी से इस दुर्दशा में पड़कर भी तुम्हारा धर्म की ओर देखना अपने कुल की परंपरा के अनुरूप है. उन्होंने यहां तक कहा कि धर्म के मर्मज्ञ द्रोण, कृपाचार्य आदि भी इस समय इस समय सिर झुकाकर प्राणहीन के समान सुन्न होकर बैठे हैं. मैं तो यही समझता हूं कि धर्मराज युधिष्ठिर इस प्रश्न का जो भी उत्तर दें, उसे ही प्रमाण माना जाए. तुम इस जुए में जीती गईं या नहीं, इस पर धर्मराज युधिष्ठिर ही स्थिति स्पष्ट करें क्योंकि वह धर्म के ज्ञाता हैं और वह जो कुछ भी कहेंगे वह धर्म मार्ग के अनुसार ही होगा.
दुर्योधन के भय से सभा में उचित अनुचित कोई कुछ भी नहीं बोला
उस सभा में एक से एक बड़े वीर और धर्म के ज्ञाता बैठे थे. किंतु सभी दुर्योधन से भय खाते थे. इसलिए उनमें से कोई भी द्रौपदी की दुर्दशा और करुण क्रंदन सुनकर उचित या अनुचित कुछ नहीं बोला. उन्हें लगा यदि उनकी बात दुर्योधन को अच्छी नहीं लगी तो उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी. इस दुर्योधन ने मुस्कुराकर द्रौपदी से कहा, द्रुपद की बेटी, तेरा यह प्रश्न तेरे उदार स्वभाव के पति भीम, अर्जुन, सहदेव और नकुल के प्रति हो रहा है. यदि वे आज सभी लोगों के सामने कह दें कि युधिष्ठिर का तुझ पर कोई अधिकार नहीं है और उन्हें झूठा ठहरा दें तो तू अभी दासत्व से मुक्त हो जाएगी.