जानिए वैशाख सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि

Update: 2023-04-11 16:36 GMT
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, साल में जो 12 महीने होते हैं उनके नाम चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, भादो, अश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ, फागुन होते हैं. वैशाख हिंदू कैलेंडर के हिसाब से दूसरा महीना है जो 7 अप्रैल 2023 से लग चुका है. वैशाख की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाएगा. सौभाग्य से इस बार भी प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ गया है और इस दिन की पूजा भी विशेष होने वाली है. भगवान शंकर की पूजा का प्रदोष में विशेष महत्व बताया गया है और सोमवार महादेव का विशेष दिन है जिसमें सच्चे मन से की हुई पूजा आपके जीवन में उनकी विशेष कृपा बिखेर देगी.
वैशाख सोम प्रदोष व्रत कब है? 
हिंदू पंचांग में वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 17 अप्रैल की दोपहर 3.46 बजे से हो रही है जो जिसकी समाप्ति 18 अप्रैल की दोपहर 1.27 बजे होगी. पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 6.48 बजे से लेकर रात के 9.01 बजे तक है इस हिसाब से 17 अप्रैल, दिन सोमवार को ही प्रदोष व्रत की पूजा की जाएगी. जिसमें भगवान शंकर और माता पार्वती की प्रतिमा के सामने व्रत करने वालों को विधिवत पूजा और भगवान के नाम का जाप करना चाहिए. इससे उन्हें महादेव और मां पार्वती का आशीर्वादम मिलेगा.
वैशाख सोम प्रदोष व्रत पूजा विधि 
हिंदू धर्म में किसी भी पूजा का संकल्प ब्रह्म मुहूर्त में करना बताया गया है. इस हिसाब से वैशाख सोम प्रदोष के व्रत में भी आपको ब्रह्म मुहूर्त में ही उठना चाहिए और नित्य क्रिया करने के बाद स्नानादि करें और पूजा का संकल्प लें. उसके बाद इस विधि से पूजा करें-
1. वैशाख प्रदोष व्रत तिथि के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें. इसके बाद भगवान शंकर की प्रतिमा के सामने अपने व्रत का संकल्प लें.
2. अब भगवान शंकर की प्रतिमा के आगे दीपक जलाएं और शिव चालिसा का पाठ करें. इसके बाद 108 बाद ॐ नम: शिवाय का जाप करें.
3. अब दिनभर भूखे रहने के बाद शाम को शुभ मुहूर्त पर भगवान शंकर और माता पार्वती वाली प्रतिमा लाल कपड़े के ऊपर रखें. उनकी प्रतिमा पर जल छिड़कें और चंदन-रोली लगाएं.
4. अब उन्हें अपनी सामर्थ्य अनुसार भोल लगाएं और फूल भी चढ़ाएं. अब धूप और दीपक जलाने के बाद अपनी भूल-चूक की क्षमा मांगे. महादेव और मां पार्वती से जो अपनी गलतियों की क्षमा मांगते हैं उन्हें वे माफ कर देते हैं.
5. अब सोम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें और शिव आरती करें. इसके बाद आचमन करें और जो भी भोग लगाया है उसे तीन हिस्सों में बाटें. इसमें एक हिस्सा परिवार में बाटें, एक हिस्सा आप अपने लिए रखें और एक हिस्सा गाय को दें.
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