जानें वो कर्म जिनके वजह से करना पड़ता है शनिदेव की वक्र दृष्टि का सामना

शनिदेव को तीनों लोक के न्याय और दण्ड का देवता माना जाता है।

Update: 2021-10-01 13:35 GMT

 जनता से रिश्ता वेबडेस्क|  शनिदेव को तीनों लोक के न्याय और दण्ड का देवता माना जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने शनि देव की तपस्या से प्रसन्न हो कर उन्हें ये पद प्रदान किया था। इसके अतिरिक्त ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शनि देव की महादशा, साढ़े साती या ढैय्या जीवन में एक बार प्रत्येक व्यक्ति को जरूर प्रभावित करती है। जिस कारण ही मनुष्य क्या देव और दानव भी शनिदेव से डरते हैं। जबकि शनि देव व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुरूप ही फल प्रदान करते हैं। यहां तक की अच्छे कर्म करने वाले और न्यायी व्यक्ति को शनि देव महादशा में लाभ प्रदान करते हैं। लेकिन अन्यायी व्यक्ति को या गलत कर्म करने वाले को कभी क्षमा प्रदान नहीं करते हैं। आइए जानते हैं कौन से है वो कर्म जिन्हें शनि की वक्र दृष्टि से बचने के लिए कभी नहीं करना चाहिए....

1-शनि देव दुर्बल और दीन-हीन के सदा सहयोगी हैं। इसलिए कभी दुर्बल, असहाय और गरीब व्यक्ति को नहीं सताना चाहिए। ऐसे लोगों को शनिदेव की वक्र दृष्टी से कोई नहीं बचा सकता।

2- शराब पीने वाले या किसी भी प्रकार का नशा करने वाले व्यक्ति से भी शनि देव कभी प्रसन्न नहीं होते। ऐसे लोगों को शनि की महादशा में बड़ी दिक्कत और परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

3- जुआं और सट्टा खेलने वाले व्यक्ति पर भी शनिदेव की दृष्टी वक्र ही बनी रहती है। उन्हें कभी भी शनि देव के दण्डविधान के अनुरूप सजा भुगतनी पड़ सकती है।

4- माता-पिता, गुरू और देवी-देवताओं या पूजा स्थल का अपमान करने वाले व्यक्ति को भी शनि देव के कोप का भागी होना पड़ता है।

5- स्त्रियों के प्रति बुरा भाव रखता है, उनका अपमान करता है या पराई स्त्री से संबंध बनता है। ऐसे व्यक्ति शनि देव के दण्ड के भागी होते हैं।

6- झूठ बोलना ,झूठी गवाही देना या अनैतिक व्यवहार करना, अनावश्यक झगड़ा-लड़ाई करना शनि देव के दण्ड को आमंत्रण देने के समान है।

7- पशु-पक्षियों विशेष कर कौआ, भैंसा, हाथी, कुत्ते आदि को नहीं सताना चाहिए। ये सभी शनिदेव को प्रिय हैं, इन्हें सताने वाले को वो कभी क्षमा प्रदान नहीं करते।

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