जानिए वट सावित्री व्रत की पूजा विधि

Update: 2023-04-27 17:42 GMT
सनातन धर्म में वट सावित्री व्रत का विशेष महत्व माना गया है. यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है. आपको बता दें कि ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत (Vat Savitri Vrat 2023) धारण किया जाता है. मान्यतानुसार, इस व्रत को धारण करने से दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है. गौरतलब है कि देश के कुछ हिस्सों में वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है. इस बार वट सावित्री व्रत 19 मई को धारण किया जाएगा. तो चलिए विस्तार से जानते हैं वट सावित्री व्रत के बारे में.
वट सावित्री व्रत कब है?
ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन वट सावित्री व्रत रखने की परंपरा है. आपको बता दें कि ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 18 मई 2023 को रात में 09 बजकर 42 मिनट से प्रारंभ होकर 19 मई को रात 9 बजकर 22 मिनट तक रहने वाली है. ऐसे में वट सावित्री का व्रत 19 मई को धारण किया जाएगा.
वट सावित्री के दिन बनने वाले शुभ संयोग
गौरतलब है कि वट सावित्री के दिन शनि अपनी स्वराशि कुंभ में मौजूद होंगे. जिससे शश नामक राजयोग बनेगा. इसके अलावा इस दिन सिद्धि योग भी बन रहा है. इस दिन चंद्रमा गुरु के साथ मेष राशि में होंगे, जिससे गजकेसरी योग भी बन रहा है. मान्यतानुसार, इन सभी योगों की मौजूदगी में वट सावित्री का व्रत रखना बहुत ही शुभ एवं फलदायी होने वाला है. इसके साथ ही शनिदेव की विशेष कृपा आप पर बनी रहेगी.
वट सावित्री व्रत की पूजा विधि (Vat Savitri Vrat puja vidhi )
* वट सावित्री के दिन सुहागन महिलाओं को प्रात: काल उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए.
* साफ़ वस्त्र धारण करके सोलह श्रृंगार करें.
* एक बटोकरी में सात तरह के अनाज रख लें और दूसरी टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखें.
* इसके बाद वट वृक्ष पर जल चढ़ाएं फिर कुमकुम, अक्षत चढ़ाएं.दीपक जलाकर धूप दिखाएं.
* अब लाल कलावे को लें और वट वृक्ष के पांच या सात चक्कर लगाते हुए लपेटकर बांध दें .इस बात का ध्यान रखें कि हर परिक्रमा पर एक चने का दाना वृक्ष पर चढ़ाती जाएं.
* घर आकर शाम के समय व्रत कथा पढ़ें अथवा सुनें.
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