जानिये अश्विन मास से जुड़े नियम

Update: 2023-09-27 14:07 GMT
अश्विन मास:  सनातन धर्म में वैसे तो हर महीने हर दिन का महत्व होता हैं लेकिन अश्विन मास बेहद ही खास माना जाता है जो कि भाद्रपद मास के बाद आता है पंचांग के अनुसार अश्विन हिंदू पंचांग का सातवां महीना होता है। जो विशेष माना जाता है इस महीने में पितृपक्ष और शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ये दोनों ही बेहद खास माने गए हैं।
अश्विन मास का आरंभ हर साल पितृपक्ष से होता है और इसके मध्य में शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है जिसके बाद दशहरा आता है। आपको बता दें कि इस पावन महीने का अंत शरद पूर्णिमा पर होता है इस महीने से ही ठंड के मौसम का आगाज होना शुरु हो जाता है। यही कारण है कि इसे शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। अश्विन मास को लेकर कई नियम बताए गए हैं जिनका अगर पालन किया जाए तो लाभ मिलता है लेकिन अनदेखी देवी देवताओं को नाराज़ कर देती है तो आज हम आपको अश्विन मास से जुड़े नियम बता रहे हैं।
अश्विन मास की तिथि—
भाद्रपद मास की पूर्णिमा के बाद अश्विन का आरंभ हो जाता है इस बार अश्विन माह की शुरुआत 30 सितंबर दिन शनिवार से हो रही है और 28 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगी। इस महीने की शुरुआत से एक दिन पहले पितृपक्ष लग रहा है और और मध्य में नवरात्रि मनाई जाएगी।
अश्विन मास से जुड़े नियम—
आपको बता दें कि अश्विनम मास में दूध, बैंगन, मूली, मसूर की दाल, चना आदि का सेवन नहीं करना चाहिए इन चीजों को अश्विन मास में वर्जित माना गया हैं। इसके अलावा इस महीने मास, मदिरा, लहसुन प्याज जैसी तामसिक चीजों का भी सेवन करने से बचना चाहिए। वरना पितर नाराज हो जाते हैं साथ ही मां दुर्गा की भी नाराजगी सहनी पड़ती है। इस महीने ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करें। अश्विन माह में किसी से बैर न रखें ना ही किसी को अपशब्द कहें और धोखा दें। इसके अलावा इस महीने में दान धर्म और पूजा पाठ जरूर करें। ऐसा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
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