मंगला गौरी व्रत से जुड़े नियम और उपाय जानिए

Update: 2023-06-21 09:35 GMT
सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत पड़ते हैं जिनका अपना महत्व होता हैं लेकिन माता पार्वती की पूजा अर्चना को समर्पित मंगला गौरी व्रत बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि श्रावण मास में पड़ने वाले मंगलवार को किया जाता हैं। इस दौरान भक्त देवी मां पार्वती की विधिवत पूजा करते हैं और उपवास आदि रखकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
माना जाता हैं कि मंगला गौरी व्रत और पूजन करने से साधक की सभी मनोकामनाएं देवी पार्वती पूर्ण कर देती हैं साथ ही जीवन के कष्टों का भी निवारण कर देती हैं इस बार श्रावण मास का आरंभ 4 जुलाई से हो रहा हैं। ऐसे में अगर आप भी श्रावण मास में पड़ने वाले मंगला गौरी व्रत पूजन को करना चाहती हैं तो आज हम आपको इससे जुड़े कुछ नियम और उपाय बता रहे हैं जो साधक को श्रेष्ठ फल प्रदान करते हैं तो आइए जानते हैं।
मंगला गौरी व्रत के नियम—
मंगला गौरी व्रत के दिन विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए मां गौरी का आशीर्वाद पाने के लिए देवी मां की विधिवत पूजा करती हैं और उपवास भी रखती हैं। आपको बता दें कि इस दिन माता पार्वती का मंगला गौरी स्वरूप में पूजन किया जाता हैं। इस व्रत को करने से शादीशुदा जीवन से जुड़ी हर परेशानी दूर हो जाती हैं और शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं ऐसे में अगर आपने मंगला गौरी का व्रत किया है तो भूलकर भी क्रोध ना करें और ना ही किसी को अपशब्द कहें। इसके अलावा इस दिन व्रत पूजन करने वालों को पूरे समय देवी मां का ध्यान पूजन करना चाहिए। माता के व्रत में साफ सफाई और शुद्धता का ध्यान रखना जरूरी होता हैं।
मंगला गौरी व्रत में करें ये उपाय—
अगर किसी जातक की कुंडली में मंगलदोष विद्यमान हैं तो ऐसे में मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत जरूर रखें इस दिन पूजन के बाद देवी मां के साथ हनुमान जी के चरणों में सिंदूर लेकर अपने माथे पर लगाएं। वही मंगल दोष को दूर करने के लिए आप लाल वस्त्र में सौंफ बांधकर अपने बिस्तर के नीचे रखें। इस उपाय को करने से लाभ जरूर मिलता हैं।
वही शीघ्र विवाह की इच्छा रखने वाले श्रावण मास में या फिर मंगल गौरी व्रत के दिन मां मंगला गौरी के मंत्र ॐ गौरीशंकराय नमः का जाप अधिक से अधिक करें ऐसा करने से शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं। वही इसके अलावा अगर विवाह में कोई बाधा आ रही हैं तो मंगला गौरी व्रत के दिन मिट्टी का खाली लोटा नदी में प्रवाहित करें। ऐसा करने से विवाह में आने वाली हर बाधा दूर हो जाती हैं।
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