जानिए बेलपत्र चढ़ाने के नियम और महत्व

सावन का महीना (Sawan Month) चल रहा है. इस पवित्र महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त कई तरह के जतन करते हैं.

Update: 2022-07-26 05:59 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क।   सावन का महीना (Sawan Month) चल रहा है. इस पवित्र महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्त कई तरह के जतन करते हैं. उनको अर्पित की जाने वाली सामग्री का विशेष ध्यान रखते हैं. भोलेनाथ को सबसे प्रिय है बेलपत्र (Belpatra), जिसे चढ़ाने से भगवान शिव अपने भक्तों पर कृपा बनाए रखते हैं परंतु धार्मिक ग्रंथो के अनुसार, बेलपत्र तोड़ने के कुछ नियम होते हैं, जिनका पालन करना जरूरी होता है. आज के इस आर्टिकल में हमें भोपाल के रहने वाले ज्योतिषाचार्य विनोद सोनी पौद्दार बता रहे हैं बेलपत्र तोड़ने, चढ़ाने के नियम और बेलपत्र का महत्व.

इन तिथियों पर न तोड़ें बेलपत्र
बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रणाम करना चाहिए. चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें. साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए. इसके अलावा इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही भगवान शिव को अर्पण करना चाहिए.
बेलपत्र नहीं होता है बासी
बेलपत्र एक ऐसा पत्ता है, जो कभी भी बासी नहीं होता है. भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले इस पावन पत्र के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यदि नया बेलपत्र न उपलब्ध हो, तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार पूजा में प्रयोग किया जा सकता है.
बेलपत्र चढ़ाने के नियम
भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाएं. बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं. भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं. ध्यान रहे कि पत्तियां कटी-फटी न हों.
बेलपत्र का महत्व
शिव पुराण अनुसार, श्रावण मास में सोमवार को शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है. शिवलिंग का बिल्वपत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है. बेलपत्र से भगवान शिव ही नहीं, उनके अंशावतार बजरंगबली भी प्रसन्न होते हैं.
शिवपुराण के अनुसार, घर में बिल्व वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है. जिस स्थान पर बिल्ववृक्ष होता है, उसे काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र माना गया है. ऐसे स्थान पर साधना, अराधना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है.
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