जानिए रक्षा पंचमी के मुहूर्त और पूजा विधि
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रक्षा पंचमी मनाई जाती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को रक्षा पंचमी मनाई जाती है. इस साल रक्षा पंचमी (Raksha Panchami) आज 16 अगस्त दिन मंगलवार को मनाई जा रही है. रक्षा पंचमी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से दो या तीन दिन पूर्व मनाई जाती है. तिथि के आधार पर यह तीन तिथि पूर्व होती है. जो लोग रक्षाबंधन के अवसर पर अपनी बहन से किसी कारणवश राखी या रक्षा सूत्र नहीं बंधवा सके हैं, वे आज रक्षा पंचमी के दिन रक्षा सूत्र या राखी बंधवा सकते हैं. रक्षा पंचमी को रेखा पंचमी, शांति पंचमी भी कहते हैं. इस दिन नागों की भी पूजा की जाती है, इसलिए इसे नाग पंचम भी कहते हैं. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से रक्षा पंचमी के मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में.
रक्षा पंचमी 2022 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ कल 15 अगस्त को रात 09 बजकर 01 मिनट पर हुआ था. इस तिथि का समापन आज 16 अगस्त मंगलवार को शाम 06 बजकर 17 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर रक्षा पंचमी आज मनाई जा रही है.
सर्वार्थ सिद्धि योग आज
आज रक्षा पंचमी के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और रवि योग का संयोग एक साथ बना है. आज रात 09 बजकर 07 मिनट से अगले दिन सुबह 05 बजकर 51 मिनट तक रवि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग रहेंगे.
ये तीनों ही योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं. सर्वार्थ सिद्धि योग में किए गए कार्य सफलतापूर्वक संपन्न होते है. आज दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक है.
पूजा विधि
आज रक्षा पंचमी के दिन प्रात: स्नान आदि के बाद बहनें अपने भाइयों को शुभ समय में रक्षा सूत्र बांध सकती हैं. रक्षा पंचमी के अवसर पर भगवान शिव के भैरवनाथ स्वरूप और गणेश जी के हरिद्रा स्वरूप की पूजा करते हैं.
अक्षत्, चंदन, नैवेद्य, फल, फूल, मिठाई आदि से गणेश जी, भैरवनाथ और नाग देवता की पूजा करें. गणेश जी को दूर्वा, मोदक और सिंदूर अवश्य चढ़ाएं. इसके बाद नाग देवता को दूध, धान का लावा आदि अर्पित करें. नाग देवता की कृपा से आपको और आपके परिवार को सर्प भय से मुक्ति मिलती है.
पूजा के समय रक्षा सूत्र परिवार के सदस्यों को बांधनी चाहिए. देवों की कृपा से उनकी रक्षा होती है.