जानिए भौम प्रदोष व्रत के मुहूर्त और पूजा विधि

हर माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस समय चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है.

Update: 2022-03-24 14:49 GMT

हर माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस समय चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि है. चैत्र माह का प्रदोष व्रत आने वाला है, जो 29 मार्च दिन मंगलवार को है. मंगलवार का प्रदोष व्रत भौम प्रदोष व्रत कहलाता है. इस बार का भौम प्रदोष व्रत साध्य एवं त्रिपुष्कर योग में है. इस दिन साध्य योग दोपहर 03:14 बजे तक है, फिर शुभ योग है. द्विपुष्कर योग 29 मार्च को प्रात: 06:15 से ही बन रहा है, जो दिन में 11:28 बजे खत्म होगा. ये सभी योग मांगलिक कार्यों के लिए शुभ माने जाते हैं. आइए जानते हैं भौम प्रदोष व्रत के मुहूर्त  एवं पूजा विधि के बारे में.

भौम प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ: 29 मार्च, दिन मंगलवार, दोपहर 02 बजकर 38 मिनट से
चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि का समापन: 30 मार्च, दिन बुधवार, दोपहर 01 बजकर 19 मिनट तक
प्रदोष काल में पूजा का शुभ मुहूर्त: शाम 06:37 बजे से रात 08:57 बजे तक
प्रदोष व्रत पूजा विधि
प्रदोष व्रत के प्रात: स्नान के ​बाद ​प्रदोष पूजा का संकल्प करें. यदि आप सुबह ही पूजा करना चाहते हैं, तो सु​बह में कर लें. हालांकि प्रदोष व्रत की पूजा शाम के समय में करते हैं. प्रदोष पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान शिव का गंगाजल एवं गाय के दूध से अभिषेक करें. फिर उनको चंदन का लेप लगाएं. उसके बाद बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत्, शक्कर, शहद, फूल, फल, मिठाई, वस्त्र आदि चढ़ाएं.
इसके दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करें. फिर शिव चालीसा और प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें. पूजा के अंत में शिव जी की आरती करें. शिव जी की पूजा और प्रदोष व्रत के पुण्य प्रभाव से सभी दोष एवं रोग दूर होते हैं.चंद्र देव को जब कुष्ठ रोग हुआ था, तब उन्होंने भगवान शिव की आराधना की थी. भगवान शिव की कृपा से उनका दोष दूर हो गया. इस वजह से प्रदोष व्रत रखा जाता है.


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