जानें मोर पंख का अर्थ और महत्व
भगवान श्री कृष्ण प्रमुख हिंदू देवताओं में से एक है. श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। भगवान श्री कृष्ण प्रमुख हिंदू देवताओं में से एक है. श्री कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन बाल कृष्ण की बड़े धूमधाम से पूजा की जाती है. यह त्योहार पूरे भारत में हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया जाता है. इस साल जन्माष्टमी का पर्व 19 अगस्त 2022 को है. जैसा कि भगवान श्री कृष्ण कई आभूषण पहनते हैं. उनके बालों में मोर का पंख होता है. क्या आपने कभी सोचा है कि भगवान कृष्ण मोर पंख क्यों पहनते हैं. भगवान कृष्ण के मोर पंख पहनने के पीछे कई कहानियां प्रचलित हैं. आइए जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से क्या है मोर पंख का अर्थ और महत्व है.
ब्रह्मचर्य का प्रतीक
श्रीकृष्ण के मोर पंख धारण करने के पीछे एक प्रचलित कहानी है कि मोर ही एकमात्र ऐसा पक्षी है, जो जीवन भर ब्रह्मचर्य को अपनाता है. कहा जाता है कि मादा मोर नर मोर के आंसू पीकर गर्भ धारण करती है. इस प्रकार श्री कृष्ण ऐसे पवित्र पक्षी के पंख को अपने माथे पर सजाते हैं.
प्रेम का प्रतीक
एक कहानी यह भी प्रचलित है कि माता राधा के महल में बहुत से मोर थे और जब श्री कृष्ण बांसुरी बजाते थे, तो माता राधा के साथ मोर भी नृत्य करने लग जाते थे. कहा जाता है कि एक बार नृत्य के दौरान एक मोर का पंख जमीन पर गिर गया था. तब भगवान श्री कृष्ण ने उस मोर पंख को उठाया और राधा के प्रेम के प्रतीक के रूप में अपने सिर पर सजा लिया.
शत्रु और मित्र में भेद नहीं
श्री कृष्ण अपने मित्र और शत्रु में तुलना नहीं करते. श्री कृष्ण के भाई बलराम शेषनाग के अवतार थे. सर्प और मोर दोनों एक दूसरे के शत्रु हैं. इसलिए श्री कृष्ण अपने सिर पर मोर के पंख को सुशोभित करते हुए समझाते हैं कि वह शत्रु और मित्र के बीच भेद नहीं करते हैं.