जानिए उजालदान के महत्त्व
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अधिक महत्व बताया गया है।
जनता से रिश्ता बेवङेस्क | वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अधिक महत्व बताया गया है। वास्तु विशेषज्ञ बताते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपना घर इस में बताई गई दिशाओं के अनुसार ही बनाना चाहिए। आप ने अक्सर कुछ लोग अपने घरों में खिड़कियों के अलावा एक उजालदान होता है जिसे वातायन, हवादार, संवातन व वेंटिलेशन के नाम से भी जाना जाता है। लोग इसे घरों में लगवा तो लेते हैं, मगर इन्हें लगाने की सही दिशा क्या होनी चाहिए आदि जैसी बातों से अवगत होते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं वास्तु के मुताबिक उजालदान कैसा होना चाहिए।
वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार किसी भी हालात में घर की छत में किसी भी प्रकार का उजालदान नहीं होना चाहिए। आजकल लोग घर की छत में दो-बाइ-दो का एक हिस्सा, उजाले के लिए खाली छोड़ देते हैं। कहा जाता है इससे घर में हमेशा हवा का दबाव बना रहता है, जिस घर में रह रहे लोगों की सेहत के साथ-साथ उनके मन-मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए कहा जाता है कि किसी भी व्यक्ति को घर में उजालदान बनाने सेल पहले किसी न किसी वास्तु शास्त्रों की सलाह ज़रूर लेनी चाहिए।
बताया जाता है उजालदान के लिए घर की वायव्य, उत्तर, ईशान और पूर्व दिशा अत्यंत शुभ होती है। हवा के लिए वायव्य दिशा में और उजाले के लिए पूर्व दिशा में उजालदान बनाए जाते हैं।
वास्तु शास्त्रियों के अनुसार रसोई घर में उजालदान निश्चित ही बनाना चाहिए, ताकि उसका ताप और धुआं बाहर निकल सके।
बाथरूम और टॉयलेट की बात करें तो इसके लिए सबसे उचित दिशा छत से लगे हुए उजालदान की होती है।
ध्यान रहे आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य दिशा में उजालदान नहीं बनाना चाहिए। अगर आग्नेय में रसोईघर हो तो उजालदान उचित दिशा में बना सकते हैं।