जानें वास्तु शास्त्र के अनुसार दिशाओं का महत्व और फायदे
वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व है. हर चीज को दिशा के हिसाब से रखने से सकारत्मकता बनी रहती है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | वास्तु शास्त्र में दिशाओं का विशेष महत्व है. हर चीज को दिशा के हिसाब से रखने से सकारत्मकता बनी रहती है. अगर आप वास्तु नियमों का पालन नहीं करते हैं तो जीवन में तमाम तरह की परेशानियां हो सकती है. हम सभी लोग मुख्य रूप से चार दिशाओं के बारे में जानते हैं उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम. इनके बीच के कोण को मध्य स्थान कहा जाता है. उस हिसाब से दक्षिण पूर्व, दक्षिण पश्चिम, उत्तर पश्चिम और उत्तर पूर्व होती है. इसके अलावा एक पाताल दिशा भी होती है. वास्तु के अनुसार, कुल मिलाकर 9 दिशाएं होती है.
वास्तु शास्त्र के अनुसार कोई भी दिशा अशुभ नहीं होती है. प्रत्येक दिशा के स्वामी है और उनके अलग-अलग तत्व हैं. इन दिशाओं का जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. आइए जाने हैं दिशाओं के महत्व के बारे में.
उत्तर दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, उत्तर दिशा के स्वामी कुबेर देवता हैं. इस दिशा में दुकान खोलना, घर की तिजोरी रखना आदि शुभ माना गया है. अगर आपकी उत्तर दिशा बंद है तो जीवन में धन, शिक्षा की कमी होने लगती हैं. खरीद -बिक्री के हिसाब से इस दिशा में कार्य करना बेहतर होता है.
दक्षिण दिशा
ज्यादातर लोग जानते हैं कि दक्षिण दिशा को यम की दिशा कहा जाता है. माना जाता है कि इस दिशा में दरवाजे, खिड़कियां रखने से रोग, मानसिक परेशानियां होने लगती है. इस दिशा को खुला रखना दोषपूर्ण होता है. अगर आप कारखाना, बिजली या आग से संबंधित कार्य को शुरू करने वाले हैं तो दक्षिण दिशा सबसे उत्तम रहेगी.
पूर्व दिशा
पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है. इस दिशा में पूजा- पाठ करने से सुख- समृद्धि आती है. शिक्षा से जुड़े कार्यों को करने के लिए सबसे शुभ दिशा होती है.
पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा के स्वामी वरूदेव हैं, इस दिशा के लाभ को बंद करने से भय, अधिक खर्च और आय में तनाव की स्थिति रहती है. अगर आप रसायनिक काम, सुपरमार्केट जैसी चीजों को खोलने की सोच रहे हैं तो ये दिशा एकदम सही है.