ज्योतिष न्यूज़ : सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की साधना आराधना को समर्पित होता है वही बुधवार का दिन गणपति की पूजा के लिए उत्तम माना गया है इस दिन भक्त भगवान की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु की कृपा प्राप्त होती है लेकिन हिंदू धर्म में सभी शुभ व मांगलिक कार्यों की शुरुआत श्री गणेश की आराधना के साथ की जाती है माना जाता है कि कार्यों की शुरुआत अगर भगवान गणेश की पूजा व ध्यान से की जाए तो कोई विघ्न बाधा नहीं आती है और बिना किसी रुकावट के सारे काम पूरे हो जाते हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा गणपति के प्रसिद्ध मोती डूंगरी मंदिर के इतिहास से आपको रूबरू करा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर का इतिहास—
मोती डूंगरी गणेश मंदिर राजस्थान के जयपुर में स्थिति है जो मोती डूंगरी की तलहटी में स्थिति भगवान श्री गणेश का मंदिर जयपुर वासियों की आस्था का प्रमुख केंद्र माना जाता है। जानकारों के अनुसार यहां स्थापित श्री गणेश की मूर्ति नरेश माधोसिंह प्रथम की पटरानी के पीहर मावली से लाई गई थी।
मावली में यह प्रतिमा गुजरात से लाई गई थी। ऐसा बताया जाता है कि उस समय यह प्रतिमा पांच सौ वर्ष पुरानी थी। कहा जाता है कि जयपुर के नगर सेठ पल्लीवाल यह मूर्ति लेकर आए थे और उन्हीं की देख रेख में मोती डूंगी की तलहटी में इस मंदिर का निर्माण हुआ था।
जो आज भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र माना जाता है किसी भी शुभ कार्य जैसे शादी विवाह का निमंत्रण सबसे पहले श्री गणेश को दिया जाता है वही वाहन की खरीदारी के बाद उसे सबसे पहले नगर वासी मोती डूंगरी लेकर आते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने कोई समस्या नहीं आती है।