जानिए शनि प्रदोष व्रत की तिथि, समय, और शुभ मुहूर्त

शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष, दोनों की त्रयोदशी तिथि हिंदू कैलेंडर में महत्वपूर्ण स्थान रखती है

Update: 2021-05-07 11:23 GMT

शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष, दोनों की त्रयोदशी तिथि हिंदू कैलेंडर में महत्वपूर्ण स्थान रखती है. इन पक्षों को प्रदोष व्रत के रूप में मनाया जाता है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस महीने पहला प्रदोष व्रत 8 मई, दिन शनिवार को पड़ रहा है. हिंदू पंचांग के अनुसार, एक प्रदोष व्रत है जो शनिवार को पड़ता है, इसे शनि प्रदोषम या शनि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जाता है. इस शुभ दिन पर, भक्त सौभाग्य और शांतिपूर्ण जीवन के लिए एक दिन के उपवास का पालन करते हैं.


जैसा कि अब दिन बिल्कुल आस-पास है, तो हम आपके लिए कुछ आवश्यक जानकारी लाए हैं कि कैसे व्रत और पूजा विधि का पालन करें?


शनि प्रदोष व्रत 2021 तिथि और शुभ मुहूर्त

दिनांक : 8 मई 2021, दिन- शनिवार

शुभ तिथि शुरू : 8 बजकर 20 मिनट पर 05:20 बजे

शुभ तिथि समाप्त : 9 मई 2021 को शाम 7:30 बजे

पूजा का समय : 8 मई 2021 को शाम 7:01 बजे से रात 9:07 बजे तक

शनि प्रदोष व्रत मई 2021 पूजा विधान

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सूर्यास्त के बाद तिथी गिरती है, तो इसे प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है. सभी अनुष्ठान और पूजन सूर्यास्त के बाद किए जाते हैं.

– पूजा करने से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें

– गंगाजल और फूलों से भरा मिट्टी का पॉट या कलश रखें

– भगवान शिव और माता पार्वती को गंगाजल अर्पित करें

– शिवलिंग पर दूध, शहद, घी, दही और बेलपत्र चढ़ाएं

– प्रदोष व्रत कथा पढ़ें, महा मृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें

– आरती कर अपनी पूजा का समापन करें

शनि प्रदोष व्रत मई 2021 महत्व

ये इस तीथि पर है, भगवान शिव ने राक्षसों (असुरों) से छुटकारा पा लिया और प्रदोष काल के दौरान मदद मांगने वाले देवों को बचाया. हिंदू मान्यता के अनुसार, जो लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं और एक दिन का उपवास करते हैं, वो अपने पिछले पापों से मुक्त हो जाते हैं. इसके अलावा, वो भगवान शंकर और माता पार्वती के द्वारा भाग्य और संपत्ति के साथ सर्वश्रेष्ठ हो जाते हैं.

इस दिन अगर आप भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करते हैं और व्रत का पालन करते हैं तो आपकी समस्त समस्याएं और कष्ट पल भर में ही समाप्त हो जाएंगे. इस व्रत को करने से संतान का सुख, दरिद्रता से मुक्ति, सभी तरह के कष्टों से मुक्ति, मुकदमे से मुक्ति और शादीशुदा जीवन संबंधी तमाम तरह की समस्याओं का अंत हो जाता है. अतएव, आपको इस व्रत का पालन अवश्य करना चाहिए.
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