जानिए कन्या पूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि
नवरात्रि के समापन के दिन कन्या पूजन किया जाता है. कुछ अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, तो कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। नवरात्रि के समापन के दिन कन्या पूजन किया जाता है. कुछ अष्टमी के दिन कन्या पूजन करते हैं, तो कुछ लोग नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. इस समय चैत्र नवरात्रि पर्व चल रहा है. और मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है. अष्टमी और नवमी के दिन 2 साल से लेकर 11 साल की कन्याओं की पूजा का विधान है. ऐसी मान्यता है कि कन्या पूजन के दिन अलग-अलग रूप की कन्याएं देवी के अलग-अलग स्वरूप को दर्शाती हैं. आइए जानते हैं इश बार की कन्यापूजन की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि के बारे में.
दुर्गाष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्त (Durgashtami Kanya Pujan 2022)
नवरात्रि के अष्टमी और नवमी के दिन कन्या पूजन का विधान है. इस बार अष्टमी तिथि 9 अप्रैल को पड़ रही है. इसे महाअष्टमी और दुर्गाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है. अष्टमी की शुरुआत 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 05 मिनट से होगी. और समापन 9 अप्रैल देर रात 1 बजकर 23 मिनट पर होगा.
ज्योतिष अनुसार इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 6 बजकर 2 मिनट तक है. सुकर्मा योग दिन में 11 बजकर 25 मिनट से 11 बजकर 58 मिनट तक है. दिन का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक है. इन शुभ मुहूर्त के अनुसार ही अष्टमी तिथि के दिन कन्या पूजन किया जाता है.
नवरात्रि राम नवमी 2022 (Ram Navami 2022)
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाई जाती है. इस दिन भी कन्या पूजन का विधान है. मान्यका है कि इस दिन राम जी का जन्म हुआ था. और राम जी का जन्मोत्सव देशभर में धूम-धाम से मनाया जाता है. पंचाग अनुसार नवमी तिथि 10 अप्रैल रात्रि 1 बजकर 23 मिनट से आरंभ होगी. जो कि 11 अप्रैल सुबह 3 बजकर 15 मिनट तक रहेगी. इस दिन सुकर्मा योग दोपहर 12 बजकर 4 मिनट तक है. इसके अलावा इस दिन रवि पुष्य योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है. ऐसे में इस दिन सुबह से ही कन्या पूजन किया जा सकता है.
कन्या पूजन की विधि (Kanya pujan)
कन्या पूजन के समय जब कन्या घर पर पधारती हैं, तो स्वागत करते हुए उनके चरण धोएं. और उन्हें उचित स्थान पर बैठाएं. इसके बाद कन्याओं के माथे पर अक्षत और कुमकुम लगाएं. उनकी पूजा करते हुए मां दुर्गा का ध्यान करें. और उन्हें इच्छा अनुसार भोजन कराएं. भोजन के बाद कन्याओं को सामर्थ्य के मुताबिक दक्षिणा या उपहार दें और पैर छूकर आशीर्वाद लें और उन्हें विदा करें.