जानिए भाईदूज की तिथि, शुभ मुहूर्त और विधि

भाईदूज का पर्व देशभर में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है

Update: 2021-08-25 15:35 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | भाईदूज का पर्व देशभर में कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक करके उसकी लंबी आयु और सुख समृद्धि की कामना करती हैं. रक्षाबंधन की ही तरह भाईदूज का भी काफी महत्व है. इस बार भाईदूज का पर्व 6 नवंबर 2021, शनिवार को मनाया जाएगा. इस दिन बहनें पूजा करती हैं, कथा कर व्रत रखती हैं और भाई को तिलक करती हैं. वहीं, भाई भी बहन की रक्षा का संकल्प लेता है और उन्हें उपहार देता है. भाईदूज को भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया आदि नामों से भी जाना जाता है. भाईदूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार मान्यता है कि इस दिन यम देव अपनी बहन यमुना के कहने पर घर पर भोजन करने गए थे.

भाईदूज तिलक का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषियों के अनुसार इस साल भाईदूज पर भाई को तिलक करने का शुभ मुहूर्त दोपहर 1:10 से 3:21 बजे तक है. शुभ मुहूर्त की कुल अवधि 2 घंटे और 11 मिनट है. ऐसी मान्यता है कि भाई के दूज के दिन बहनों के घर भोजन करने से भाइयों की उम्र बढ़ती है. इतना ही नहीं, इस दिन यमुना में डुबकी लगाने का भी काफी महत्व बताया गया है.
भाईदूज के रीति-रिवाज और विधि
हिंदू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व बताया गया है. इन पर्व को सही से मनाने के कुछ रीति-रिवाज और विधि हैं. हर त्योहार एक निश्चित पद्धति और रीति-रिवाज के साथ मनाया जाता है. भाईदूज के दिन बहनें भाई को तिलक करती हैं और पूजा की थाली सिंदूर, कुमकुम, चंदन, फल, फूल, मिठाई, सुपारी आदि से सजाती हैं. भाई को तिलक करने से पहले चावल के मिश्रण से एक चौक बनाएं. चावल से बनाए गए इस चौक पर भाई को बैठाएं और शुभ मुहूर्त में तिलक करें. भाई को तिलक करने के बाद फूल, पान, सुपारी, बताशे और काले चने भाई को दें और उसकी आरती उतारें. भाई के तिलक और आरती के बाद भाई बहन को रक्षा का वचन और गिफ्ट दें.
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